अल्लाह की याद तमाम आमाल का ख़ुलासा है

हज़रत अबूदर्दा से रिवायत है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः क्या मैं तुमको न बताऊं कि कौन सा अमल (कर्म) सबसे बेहतर है, और तुम्हारे आक़ा के नज़दीक सबसे पाकीज़ा (पवित्र) है और तुम्हारे दर्जे को बढ़ाने वाला है और तुम्हारे लिए सोने-चांदी के इन्फ़ाक़ (बहुलता, प्रचुरता) से बेहतर है और तुम्हारे लिए इससे बहेतर है कि तुम अपने दुश्मन से मुठभेड़ करो और तुम उनकी गर्दनें मारो और वे तुम्हारी गर्दनें मारें? सहाबा ने कहा, हां ऐ ख़ुदा के रसूल। आपने फ़रमायाः अल्लाह तआला को याद करना। (सुनन अल-तिर्मिज़ी, हदीस संख्या 3377)

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