कारोबारी स्थायित्व
खुशहाल तबक़ा नाश्ते में या चाय के साथ अनाज की बनी हुई हल्की चीज़ें लेना पसंद करता है। इसी का एक रूप वह हल्का खाद्य है, जिसको कॉर्नफ्लैक्स कहा जाता है। इसकी विभिन्न क़िस्में बाज़ार में मौजूद हैं।
बहुत-सी फ़र्मों ने विभिन्न नामों से कॉर्नफ्लैक्स बनाए। उनके स्वाद में तरह-तरह की विविधता पैदा की। पर भारतीय बाज़ार में वे ज़्यादा कामयाब न हो सके, हालांकि उन्होंने विज्ञापन पर काफ़ी पैसा ख़र्च किया।
इस वक़्त भारत के बाज़ार में सिर्फ़ दो फ़र्मों के बनाए हुए कॉर्नफ्लैक्स ज़्यादा चल रहे हैं। एक हिन्दुस्तान वेजिटेबल्स आइल्स कार्पोरेशन का और दूसरा मोहन मीकिन्स लिमिटेड का। ये दोनों फ़र्में हर साल एक हज़ार टन कॉर्नफ्लैक्स बेचती हैं, जिनकी क़ीमत तीन करोड़ पचास लाख होती है, हालांकि ये दोनों फ़र्में विज्ञापन पर सिरे से कोई पैसा ख़र्च नहीं करतीं। उनका तैयार किया हुआ कॉर्नफ्लैक्स बिना किसी विज्ञापन के बिकता है।
इस फ़र्क़ की वजह क्या है ? इसकी बुनियादी वजह यह है कि दूसरे फ़र्मों का कोई इतिहास नहीं। उन्होंने किसी नाम से कॉर्नफ्लैक्स की एक किस्म बनाई। वह बाज़ार में नहीं चली तो उन्होंने दूसरी क़िस्म बना डाली या सिरे से उसको बनाने का काम छोड़ कर कोई दूसरा काम शुरू कर दिया। इसके विपरीत उपरोक्त दोनों कामयाब फर्मों के कारोबार के पीछे बीस साल का इतिहास है। वे बीस साल से लगातार एक ही क़िस्म का कॉर्नफ्लैक्स बना रही हैं। बीस वर्षीय इतिहास ने उनको लोगों की नज़र में जाना-पहचाना और मान्यताप्राप्त बना दिया है। किसी आदमी को कॉर्नफ्लैक लेना होता है तो उनके ज़ेहन में पहले से उसका नाम मौजूद होता है और वह बाज़ार जाकर अपने इस जाने-पहचाने कॉर्नफ्लैक्स को खरीद लेता है।
यही कारोबार में तरक्की का राज़ है। कारोबार में ठहराव और स्थायित्व ज़रूरी शर्त है। आप कारोबार करके उसको छोड़ते या बदलते रहते हैं तो आप कभी कारोबार में कामयाब नहीं होंगे। और अगर आप कारोबार करके उस पर जमे रहें, किसी भी कठिनाई की वजह से उसको न छोड़ें तो ‘बीस साल’ गुज़रने के बाद आप निश्चित रूप से कामयाबी की अगली मंज़िल पर पहुंच चुके होंगे।