शांतिपूर्ण कार्य-शैली ज़्यादा बेहतर

 एक हदीस में बताया गया है कि काम-काज (affairs) में पैग़ंबर-ए-इस्लाम की पॉलिसी क्या थी। एक हदीस के शब्द यह हैं— “हज़रत मुहम्मद को जब भी किसी काम को करने में दो में से एक तरीक़े का चुनाव करना होता तो आप हमेशा दोनों में से आसान का चुनाव करते थे।” (बुख़ारी, हदीस नं० 6,786)

 आसान चुनाव को धारण करने के इस नियम को अगर हिंसक कार्य-शैली और शांतिपूर्ण कार्य-शैली के ऐतबार से देखा जाए तो यह कहना सही होगा कि पैग़ंबर का तरीक़ा यह था कि जब कोई मामला पेश आए तो उससे निपटने के लिए हिंसात्मक कार्य-शैली को धारण न किया जाए, बल्कि शांतिपूर्ण कार्य-शैली को धारण किया जाए, क्योंकि हिंसात्मक कार्य-शैली निश्चित रूप से कठिन है और शांतिपूर्ण कार्य-शैली निश्चित रूप से सरल।

 फिर भी यह साधारण रूप से केवल सरल और कठिन का मामला नहीं, बल्कि इसका मतलब यह है कि मामलात में शांतिपूर्ण तरीक़ा हमेशा परिणामजनक होता है और हिंसक तरीक़ा निश्चित रूप से परिणामविहीन। वह समस्या का समाधान नहीं करता, निःसंदेह उसमें कुछ और वृद्धि करके उसे ज़्यादा जटिल बना देता है। हदीस में कठिन तरीक़े से अभिप्राय वह तरीक़ा है जिसके द्वारा उद्देश्य की प्राप्ति कठिन हो। इसके मुक़ाबले में सरल तरीक़े से तात्पर्य वह तरीक़ा है जिसके द्वारा उद्देश्य की प्राप्ति सरल और निश्चित हो।

Maulana Wahiduddin Khan
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