क़ुरआन और हदीस में शांति की शिक्षा
स्वयं इस्लाम शब्द में शांति का भाव शामिल है। इस्लाम का मूल शब्द ‘सिलिम’ है। सिलिम का मतलब अमन यानी शांति होता है। इसलिए इस्लाम का मतलब है अमन का मज़हब। हदीस में वर्णन है कि ‘सलामती’ (शांति) इस्लाम का अंश है। इसी प्रकार हदीस में है कि मुसलमान वह है जिसकी ज़ुबान और जिसके हाथ से लोग अमन में रहें। क़ुरआन में ईश्वर के जो नाम बताए गए हैं, उनमें से एक नाम ‘अस्सलाम’ है जिसका मतलब है शांति एवं सुरक्षा (59:23)। मानो ईश्वर का अस्तित्व स्वयं शांति के गुण का प्रकटन है। हदीस में यह वर्णन है कि ईश्वर स्वयं सलामती है (बुख़ारी, किताबुल अज़ान)। इसी प्रकार ईश्वर के मार्गदर्शन को क़ुरआन में अमन का रास्ता (5:16) कहा गया है। इस्लाम के अनुसार जन्नत इंसान के रहने का आदर्श स्थान है और क़ुरआन में जन्नत को ‘दारुस्सलाम’ (10:25) यानी ‘शांति का घर’ कहा गया है। क़ुरआन में बताया गया है कि जन्नत वालों के बोल एक-दूसरे के लिए सलामती (56:26) के होंगे। दूसरे शब्दों में यह कि जन्नत वालों का सामूहिक कल्चर पीस कल्चर (peace culture) होगा।
क़ुरआन में कहा गया है कि सुलह बेहतर है (4:128) मतलब समझौते का तरीक़ा अपने नतीजे के ऐतबार से ज़्यादा बेहतर है। प्रकृति के क़ानून (law of nature) के अनुसार, ईश्वर ने समझौतावादी व्यवहार-शैली पर वह सफलता लिख दी है, जो उसने टकराव या हिंसात्मक कार्य-शैली पर तय नहीं की।
पैग़ंबर-ए-इस्लाम की पत्नि आयशा ने सामूहिक मामलों में आपकी जनरल पॉलिसी को इस प्रकार बताया है— “पैग़ंबर-ए-इस्लाम को जब भी किसी काम को करने की दो कार्यशैलियों में से एक का चुनाव करना होता तो आप हमेशा दोनों में से आसान का चुनाव करते (बुख़ारी, किताबुल मनाक़िब)।” इसका मतलब यह है कि जब शांतिपूर्ण अमल (peaceful activism) उपलब्ध हो तो हिंसापूर्ण सक्रियतावाद (violent activism) को धारण नहीं किया जाएगा, क्योंकि शांतिपूर्ण अमल की हैसियत तुलनात्मक सरल विकल्प (easier option) की है और हिंसापूर्ण सक्रियतावाद की हैसियत तुलनात्मक कठिन विकल्प (harder option) की।
जैसे किसी आंदोलन के पहले ही चरण में यथापूर्ण स्थिति (status quo) को बदलने का प्रयास करना कठोर चुनाव है और यथापूर्ण स्थिति को बदले बिना प्राप्त परिधि में अपना अमल जारी रखना आसान चुनाव। विवाद के अवसर पर लड़ जाना कठिन चुनाव है और विवाद के अवसर पर समझौता कर लेना आसान चुनाव। प्रतिद्वंद्वी के मुक़ाबले में हिंसात्मक कार्य-शैली को अपनाना कठिन विकल्प है और प्रतिद्वंद्वी के मुक़ाबले में शांतिपूर्ण कार्य-शैली को अपनाना सरल विकल्प। अकारण आघात पहुँचने का उत्तर आघात पहुँचाने से देना कठिन चुनाव है और आघात पहुँचने का उत्तर धैर्य व सहनशीलता से देना आसान चुनाव। समस्या उत्पन्न होने की स्थिति में हंगामा खड़ा करने की शैली धारण करना कठिन विकल्प है और समस्या उत्पन्न होने की स्थिति में ख़ामोशी धारण करना सरल विकल्प। सुधार के लिए अतिवादी (radical) शैली धारण करना कठिन विकल्प है और सुधार के लिए क्रमिक शैली (gradual process) धारण करना सरल विकल्प। परिणाम की परवाह किए बिना उत्तेजनापूर्ण प्रतिक्रिया (reaction) करना मुश्किल चुनाव है और परिणाम को सामने रखते हुए युक्तिपूर्ण (planned) क़दम उठाना आसान चुनाव। शासक से लड़ाई कठिन विकल्प है और शासक से बचते हुए शिक्षा-दीक्षा के दायरे में अपने कार्य का आरंभ करना आसान विकल्प। इन कुछ उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि कथित हदीस के अनुसार आसान विकल्प क्या है और कठिन विकल्प क्या है।
हक़ीक़त यह है कि इस्लाम में अमन की हैसियत सामान्य नियम की है, जबकि जंग की हैसियत केवल अपवाद की। इस्लाम की समस्त शिक्षाएँ और पैग़ंबर-ए-इस्लाम का व्यावहारिक जीवन इसकी पुष्टि करता है।