जिहाद का मूल शब्द ‘जुहद’ है। इसका मतलब प्रयास करना है, लेकिन ‘जुहद’ के तत्त्व में अतिशयोक्ति का भाव शामिल है, जैसे कहा जाता है ‘जुहद अल-लबन’— यानी कोशिश करके सारा मक्खन निकाल लेना और ‘अजहुदल दाब्बाह’ यानी जानवर के ऊपर ताक़त से ज़्यादा लादना। इसी तरह कहा जाता है ‘बज़्ल जुहदा’ यानी इसने अपनी पूरी ताक़त लगा दी। इसी तरह कहा जाता है ‘ला बलग़न जुहीदाई फ़िल अम्र’ यानी मैं मामले में अपनी ओर से पूरा प्रयास करूँगा— जिहाद या मुजाहिदा का भावार्थ भी यही है। क़ुरआन में वर्णन है— “जाहिदु फ़िल्लाहि हक़्क़ जिहादा” यानी ईश्वर के रास्ते में पूरी कोशिश करो, जैसा कि कोशिश करने का हक़ है।
प्रसिद्ध अरबी शब्दकोश ‘लिसानुल अरब’ में बताया गया है कि ‘जुहद’ का मतलब भरपूर प्रयास करना है, जैसे कहा जाता है—
جَهَدْتُ جَهْدي واجْتَهَدتُ رأْيي وَنَفْسِي حَتَّى بَلَغْتُ مَجهودي
अर्थात मैंने हर तरह से प्रयास किया, यहाँ तक कि मैंने अपनी अंतिम सीमा तक प्रयास कर डाला (पृष्ठ 133)। इसी तरह कहा जाता है—
جَهَدَ الرَّجُلُ فِي كَذَا أَي جدَّ فِيهِ وَبَالَغَ
आदमी ने किसी काम को करने में प्रयास किया और भरपूर प्रयास कर डाला। जिहाद या इज्तिहाद का मतलब है بَذَلَ الوُسْعَ فِي طَلَبِ الأمرِ अर्थात किसी काम में अपनी पूरी कोशिश लगा देना।
परिस्थितियों के ऐतबार से कभी-कभी जिहाद या जद्दोजहद का प्रयोग दुश्मनों से मुक़ाबले में किया जाता है। इस समय प्रयोग के आधार पर, न कि शब्दकोश के आधार पर इसमें जंग का भावार्थ भी सम्मिलित हो जाता है। अतः प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान इमाम राग़िब असफ़हानी ने प्रयोग के संबंध में जिहाद के तीन प्रकार बताए हैं— प्रत्यक्ष दुश्मन से मुक़ाबला, शैतान से मुक़ाबला और नफ़्स से मुक़ाबला।