मुश्किल में आसानी

क़ुरआन में बताया गया है कि निःसंदेह मुश्किल के साथ आसानी है (94:5)। इसका मतलब यह है कि वर्तमान संसार प्रकृति के जिस क़ानून पर चल रहा है, उसका एक पक्ष यह है कि यहाँ हमेशा मुश्किल के साथ आसानी मौजूद रहती है। यहाँ हमेशा रुकावट के साथ निकास का रास्ता बाक़ी रहे।

 इससे मालूम होता है कि वर्तमान संसार में शांति की हालत को निरंतर स्थापित रखने का राज़ क्या है। वह है रुकावटों से टकराए बिना अपना रास्ता निकालना। इंसानी समाज में शांति की समाप्ति का कारण हमेशा यह होता है कि व्यक्ति या संप्रदायों के रास्ते में जब भी कोई बाधा आती है तो वे चाहने लगते हैं कि बाधा को हटाकर अपने लिए समतल रास्ता बनाएँ। यही स्वभाव शांति को तोड़ने का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए लोगों को यह शिक्षा दी गई है कि कोई कठिन काम पेश आ जाए तो तुम उसे बाधा न समझो, बल्कि यह विश्वास रखो कि जहाँ मुश्किल है, वहीं आसानी भी है। जहाँ यात्रा प्रत्यक्ष रूप से रुकी हुई दिखाई दे, वहीं से नई यात्रा का आरंभ भी हो सकता है।

 आप किसी पहाड़ के आँचल में खड़े हों तो आप देखेंगे कि पहाड़ की चोटी से झरने जारी होकर तेज़ी से मैदान की तरफ़ बह रहे हैं। इन झरनों के रास्ते में बार-बार पत्थर आते हैं, जो बज़ाहिर झरने का रास्ता रोकने वाले हैं, मगर कभी ऐसा नहीं होता कि कोई पत्थर किसी झरने का रास्ता रोक दे।

 इसका साधारण भेद एक शब्द में अनदेखी करना है अर्थात टकराव से बचकर अपना रास्ता निकालना। अतः जब भी झरने के सामने कोई पत्थर आता है तो एक क्षण की देरी के बिना झरना यह करता है कि दाएँ या बाएँ मुड़कर अपना रास्ता निकाल लेता है और आगे की ओर बढ़ जाता है। वह रास्ते के पत्थर को हटाने के बजाय स्वयं अपने आपको हटा लेता है। इसी प्रकार किसी ठहराव के बिना झरने की यात्रा बराबर जारी रहती है।

 यह प्रकृति का पाठ है। इस प्रकार प्रकृति कर्म की भाषा में इंसान को यह संदेश दे रही है कि कठिनाइयों से टकराने के बजाय कठिनाइयों को नज़रअंदाज़ करो। रुकावटों को तोड़ने के बजाय रुकावटों से हटकर अपना काम जारी रखो। काम के इस तरीक़े को एक शब्द में सकारात्मक यथापूर्व स्थितिवाद (positive status quoism) कहा जा सकता है। पैग़ंबर-ए-इस्लाम के जीवन-चरित्र का अध्ययन बताता है कि आपने हमेशा इसी पॉलिसी को अपनाया। इसी का यह नतीजा था कि आप एक ऐसी क्रांति लाने में सफल हुए जिसमें इतने कम लोग मारे गए। इस क्रांति को निःसंदेह रक्तविहीन क्रांति (bloodless revolution) कहा जा सकता है।

 पॉज़ीटिव स्टेटस कोइज़्म की यह पॉलिसी वर्तमान दुनिया में शांति की सबसे बड़ी ज़मानत है। अगर यह कहा जाए तो ग़लत न होगा कि जंग का सबसे बड़ा कारक यथापूर्व स्थिति (status quo) को तोड़ने का प्रयास है और शांति  की स्थापना का सबसे बड़ा राज़ यह है कि यथापूर्व स्थिति को मानकर शेष दायरे में अपना निर्माण किया जाए।

Maulana Wahiduddin Khan
Book :
Share icon

Subscribe

CPS shares spiritual wisdom to connect people to their Creator to learn the art of life management and rationally find answers to questions pertaining to life and its purpose. Subscribe to our newsletters.

Stay informed - subscribe to our newsletter.
The subscriber's email address.

leafDaily Dose of Wisdom