हज़रत उमर फ़ारूक़ इस्लामी इतिहास के दूसरे ख़लीफा हैं। उनका एक कथन इन शब्दों में अनुकरण किया गया है कि तुम लोग झूठ को हलाक करो, उसके बारे में चुप रहकर।
प्रकृति के क़ानून के अनुसार इस दुनिया में सच को जीवन मिलता है और झूठ के भाग्य में मौत है। ऐसी हालत में झूठ की हलाकत के लिए केवल इतना ही काफ़ी है कि उसके बारे में ख़ामोशी अपना ली जाए। झूठ के ख़िलाफ़ बोलना या उसके ख़िलाफ़ हंगामा करना उसे जीवन देता है और झूठ की अनदेखी करके उसके बारे में चुप रहना उसकी मौत का कारण बन जाता है।
झूठ के बारे में चुप रहने का मतलब यह है कि उसे नज़रअंदाज़ किया जाए। उसके ख़िलाफ़ किसी प्रकार की प्रतिक्रिया न की जाए। उसके मुक़ाबले में विरोध-प्रदर्शन और सम्मुख आने का तरीक़ा न अपनाया जाए। हालाँकि ऐसा करना केवल उन लोगों के लिए संभव है, जो प्रकृति की शक्ति को जानें और उस पर भरोसा कर सकें। जो लोग प्रकृति की शक्ति को न जानें, वही लोग असत्य के ख़िलाफ़ हंगामा खड़ा करके उसे जीवन देने का कारण बन जाते हैं।