6 अप्रैल
कम्यूनिस्ट रूस के पहले साशक लेनिन की मृत्यु 1924 में हुई। उसके बाद जोज़ेफ़ स्टालिन रूस का प्रधान मंत्री बना। और मरते दम (1953) तक वो इस ओहदे पर रहा। उसने लगभग 30 साल तक कम्यूनिस्ट रूस के ऊपर निरंकुश हुकूमत की। इस दौरान उसने बेशुमार ज़ुल्म किए। यहां तक कहा जाता है कि उसने लगभग पांच करोड़ इन्सानों को विभिन्न तरीक़ों से मार डाला (टाइम्स आफ़ इंडिया 20 अप्रैल 1988)।
स्टालिन की हुकूमत के पूरे दौर में उसके ज़ुल्म इस तरह पूरी तरह छुपाए जाते रहे कि उसका एक लफ़्ज़ भी कम्यूनिस्ट रूस में कहीं भी छप नहीं सका। बाद के एक रूसी प्रधानमंत्री ख्रुश्चेफ़ ने कम्यूनिस्ट पार्टी की बीसवीं कांग्रेस में बन्द कमरे के अन्दर उसके भयानक जुर्मों पर एक लम्बी रिपोर्ट पेश की। यह घटना 25 फ़रवरी 1956 की है। मगर इसके बावजूद ख्रुश्चेफ़ की यह रिपोर्ट न रूस के अख़बारों में छपने दी गई और न बाहर के अख़बारों में। स्टालिन के ज़ुल्मों का रहस्य बदस्तूर रहस्य बना रहा।
मगर 6 अप्रैल 1989 को इस रहस्य का पर्दा फट गया। उस घटना के 33 साल बाद, और असली ज़ुल्मों के आधी सदी से भी ज़्यादा बाद, इस रिपोर्ट को प्रकाशित कर दिया गया। मास्को से छपने वाले एक सरकारी माहनामा न्यूज़ (News) ने 6 अप्रैल 1989 को ख्रुश्चेफ़ की यह रिपोर्ट पूरी की पूरी प्रकाशित की है, और उसका नाम है — व्यक्तिपूजा और उसके प्रभावः
On the personality cult and its consequences.
मौजूदा दुनिया में आदमी सरकशी करता है। वह अपनी बड़ाई क़ायम रखने की ख़ातिर हक़ को मानने से इन्कार कर देता है। फिर भी उसको अपनी अस्ल हैसियत पर पर्दा डालने के लिए ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ मिल जाते हैं। वह समझता है कि मैंने हमेशा के लिए अपने काले कारनामों को छुपा लिया। मगर जिस तरह स्टालिन के लिए “6 अप्रैल” की तारीख़ तय थी और उस तारीख़ के आते ही वह सारी दुनिया के सामने बेनक़ाब हो गया, उसी तरह हर इन्सान के लिए एक “6 अप्रैल” है। उसके आते ही हर आदमी की सच्चाई पहले पेज की ख़बर बन जाएगी, जिस तरह 6 अप्रैल 1989 को स्टालिन की सच्चाई पहले पेज की ख़बर बन गई।
यह दिन बहरहाल हर इन्सान के लिए आने वाला है, चाहे वह आज आए या आज से 50 साल बाद।