उदाहरण के लिए बाइबल को लीजिए। बाइबल अपनी शुरुआती हालत में ईश्वर का कथन थी, मगर बाद में उसमें इंसानी मिलावट हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि उसमें अधिकता से आंतरिक टकराव पैदा हो गए। बाइबल का वह भाग, जिसे इंजील या न्यू टेस्टामेंट कहा जाता है, उसमें ईसा की वंशावली दी गई है। यह वंशावली मत्ती की इंजील में इस तरह शुरू होती है— यसु मसीह सपुत्र-दाऊद सपुत्र-अब्राहम की वंशावली।
यह संक्षिप्त वंशावली है। इसके बाद इंजील में विस्तृत वंशावली है, जो इब्राहीम से शुरू होती है और आख़िर में ‘यूसुफ़’ पर समाप्त होती है, जो इसके बयान के अनुसार मरयम के पति थे, जिनसे मसीह पैदा हुए। इसके बाद पाठक ‘मरक़स’ की इंजील तक पहुँचता है तो वहाँ किताब के शुरू में मसीह की वंशावली इन शब्दों में मिलती है— ईश्वर का पुत्र यसु मसीह।
मानो इंजील के एक अध्याय के अनुसार मसीह यूसुफ़ नामक एक आदमी के पुत्र थे और इसी इंजील के दूसरे अध्याय के अनुसार मसीह ईश्वर के पुत्र थे।
इंजील अपनी शुरुआती हालत में नि:संदेह ईश्वरीय कथन थी और टकरावों से ख़ाली थी, मगर बाद में उसमें इंसानी कथन शामिल हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि इसके वर्णन में टकराव पैदा हो गया।
इंजील के इस टकराव का स्पष्टीकरण चर्च ने एक और अजीबो-ग़रीब टकराव से किया है। अत: एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका (1984) के अनुसार, वे कथित यूसुफ़़ के लिए निम्नलिखित शब्द प्रयोग करते हैं—
Christ’s earthly father, the virgin Mary’s husband.
यानी मसीह के सांसारिक पिता, कुँवारी मरयम के पति।