इस मामले का दूसरा पहलू बाहरी असमानता है यानी किसी मामले में किताब के अंदर जो बात कही गई है, वह किताब के बाहर पाई जाने वाली हक़ीक़त के मुताबिक़ न हो। यह एक ऐसी कमी है, जो सारी इंसानी रचनाओं में पाई जाती है। इंसान अपनी जानकारी के दायरे में बोलता है और इंसान की जानकारी का दायरा क्योंकि सीमित है, इसलिए उसकी ज़ुबान या क़लम से ऐसी बातें निकलती रहती हैं, जो बाहरी हालात से समानता न रखती हों। यहाँ हम कुछ तुलनात्मक (comparative) उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।
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