इस सिलसिले में एक दिलचस्प उदाहरण वह ख़बर है, जो 1984 के आख़िर में विभिन्न अख़बारों में छपी थी। कनाडा के अख़बार ‘द सिटीज़न’ (22 नवंबर, 1984) ने यह ख़बर इन शब्दों में प्रकाशित की थी—
Ancient Holy Book 1,300 Years Ahead of its Time.
‘प्राचीन पवित्र किताब अपने समय से 1,300 वर्ष आगे’
इसी तरह नई दिल्ली के अख़बार ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ (10 दिसंबर, 1984) में यह ख़बर निम्नलिखित शब्दों में छपी—
‘Kor’an Scores Over Modern Science.’
‘क़ुरआन ने आधुनिक विज्ञान पर बाज़ी मार ली’
डॉक्टर कीथ मूर भ्रूण विज्ञान (embryology) के विशेषज्ञ हैं और कनाड़ा की टोरंटो यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने क़ुरआन की कुछ आयतों (40:14,39:6) और आधुनिक अनुसंधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया है। इस सिलसिले में वह अपने साथियों के साथ कई बार किंग अब्दुल अज़ीज़ यूनिवर्सिटी (जेद्दा, सऊदी अरब) भी गए। उन्होंने पाया कि क़ुरआन का बयान आश्चर्यजनक रूप से आधुनिक खोजों के बिल्कुल समान है। यह देखकर उन्हें बड़ी हैरानी हुई कि क़ुरआन में क्योंकर वह हक़ीक़तें मौजूद हैं, जिन्हें पश्चिमी दुनिया ने पहली बार केवल 1940 में मालूम किया। इस सिलसिले में उन्होंने एक लेख लिखा है, जिसमें वे कथित घटना का वर्णन करते हुए लिखते हैं—
“The 1300 Year old Koran contains passages so accurate about embryonic development that Muslims can reasonably believe them to be revelations from God.”
“1300 वर्षीय प्राचीन क़ुरआन में भ्रूणीय विकास के बारे में इतना सटीक वर्णन मौजूद है कि मुसलमान उचित रूप से यह विश्वास कर सकते हैं कि वह ईश्वर की ओर से उतारी हुई आयतें हैं।”