क़ुदरत का फ़ैसला
अगर आप अमरीका जाएं और वहां से कनाडा की तरफ़ सफ़र करें तो आप देखेंगे कि अमरीका और कनाडा की सरहद (border) पर दोनों मुल्कों के झंडे एक साथ लहरा रहे हैं। पास ही एक बोर्ड है, जिसके ऊपर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है– एक ही मां की औलादें:
Children of a common mother
यह बात जो अमरीका और कनाडा की सीमा पर खुले बोर्ड के ऊपर लिखी गई है, यही बात तमाम दूसरे मुल्कों की सरहदों पर ‘छुपे हुए बोर्डों’ में न दिखाई देने वाले अक्षरों में लिखी हुई है। यह दूसरा बोर्ड वह है जो क़ुदरत की तरफ़ से लगाया गया है। पहला बोर्ड इन्सानी हाथों ने लिखा है, दूसरा बोर्ड ख़ुद ख़ुदा के हाथों ने।
मॉलेक्यूलर बायोलॉजी में जो नई खोजें हुई हैं उनसे जैनेटिक सबूतों (genetic evidence) के ज़रिए ख़ालिस साइंस की सतह पर यह साबित हुआ है कि तमाम दुनिया के लोग एक ही महान ख़ानदान (Great family) का हिस्सा हैं। सब एक ही मां-बाप (common ancestor) से ताल्लुक़ रखते हैं (तफ़्सील के लिए मेरी किताब देखिए, तामीर की तरफ़ पेज 28-30)
इस एतबार से देखा जाए तो मालूम होगा के अमरीका और कनाडा की सरहद पर लगे बोर्ड पर जो बात लिखी हुई है वह फ़ितरी सच्चाई है। वही मामला तमाम क़ौमों का है जिसका ऐलान अमरीका और कनाडा ने अपने यहां किया है। जीव वैज्ञानिक सच्चाई का तक़ाज़ा है कि हर क़ौम अपने यहां वही अल्फ़ाज़ लिखे जो अमरीका और कनाडा ने अपने यहां लिख रखा है।
यही मौजूदा दुनिया में इन्सान का इम्तिहान है। यहां आदमी को अपने आज़ाद इरादे से वही काम करना है जो क़ुदरत ने लाज़िमी क़ानून के तहत पहले से तय कर दिया है। जो चीज़ क़ुदरत ने अपनी छुपी हुई क़लम से लिखी है, उसे इन्सान को अपने हाथ से अपनी ज़िन्दगी के सफ़हे पर लिखना है।
क़ुदरत के अपने मन्सूबे के तहत जगत की जो स्कीम (scheme of things) है, उसके मुताबिक़ हर इंसान को अपनी स्कीम को ढाल लेना चाहिए। क्यों की क़ुदरत के नक़्शे से तालमेल का नाम तामीर और सृजन है और क़ुदरत के नक़्शे से तालमेल न करने का नाम नाकामी और बर्बादी।