मौत: एक अनुस्मारक (Reminder)

मौत मरने वाले के लिए इस दुनिया से एक अंत होता है, लेकिन जीवित लोगों के लिए यह एक याद दिलाने वाला संदेश है। जब कोई मरता है, तो देखने में यह बस एक आवाज़ के खामोश हो जाने जैसा लगता है। मगर उस खामोशी में एक गहरा संदेश छिपा होता है— "जो समय उस पर आया, वही एक दिन हमारे ऊपर भी आएगा। अपने उस समय के लिए हमें तैयार रहना है।"

यह आम बात है कि जब किसी की उम्र का एक साल पूरा होता है, तो उसका जन्मदिन मनाया जाता है। लेकिन अगर गहराई से देखें, तो यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी ज़िंदगी का एक और साल कम हो गया है और हम अपनी मृत्यु के एक कदम और क़रीब आ गए हैं।

वास्तविकता यह है कि हर इंसान की उम्र हर पल घट रही है। हर जन्मदिन यह बताता है कि तुम्हारी ज़िंदगी का एक और साल कम हो गया। मौत, दरअसल, इसी घटती हुई उम्र की अंतिम सीमा है।

लोग अपने जन्मदिन को खुशी के मौके के रूप में मनाते हैं, लेकिन अगर हम गहराई से सोचें, तो सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। हर नया जन्मदिन यह याद दिलाता है कि मौत और यौम-ए-हिसाब (न्याय का दिन) अब और करीब आ गया है। आख़िरत की तैयारी के लिए तुम्हारे पास एक साल और कम हो गया है।

मौत के दो पहलू होते हैं। एक यह कि व्यक्ति इस दुनिया से चला जाता है। दूसरा यह कि वह अपनी तमाम इच्छाओं को अधूरा छोड़कर जाता है। यह इस बात का इशारा है कि यह दुनिया इच्छाओं को पूरा करने की जगह नहीं है। सच्ची और पूरी संतुष्टि केवल अगली दुनिया में ही संभव है।

बुद्धिमान वह है, जो इस संकेत को समझे और वर्तमान जीवन को एक तैयारी का चरण मानते हुए खुद को अगली दुनिया के योग्य बनाए। जीवन कर्म का एक चरण है और मृत्यु अल्लाह की अदालत में पेशी का समय। यह हर व्यक्ति के लिए अत्यंत गंभीर मामला है। समझदार वही है, जो इस मामले को समझे और इसे अपनी सबसे बड़ी चिंता (Supreme Concern) बनाए।

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