जन्नत की कीमत
जन्नत अनंत सुखों की दुनिया है। वे कौन लोग हैं जो मृत्यु के बाद इस योग्य ठहरेंगे कि जन्नत की श्रेष्ठ दुनिया में जगह हासिल कर सकें? यह वही लोग होंगे, जिन्होंने मौत से पहले की अपनी जिंदगी में, विचार और कर्म के स्तर पर, खुद को जन्नत जैसी उच्चस्तरीय दुनिया में रहने के योग्य बनाया होगा।
यह एक बड़ी भूल होगी यदि जन्नत की कीमत किसी और चीज को समझ लिया जाए। उदाहरण के लिए, यह मान लेना कि किसी बुज़ुर्ग का दामन पकड़ने से जन्नत मिल जाएगी; या किसी खास समूह से जुड़ जाना, कुछ औपचारिक कर्म कर लेना, किसी पवित्र स्थान की यात्रा कर लेना, धर्म के नाम पर दिखावा करना, स्टेज पर खड़े होकर हम्द और नात के गीत गाना, औ़राद और वज़ीफों में व्यस्त रहना, धर्म के नाम पर भव्य इमारतें बनाना, जलसे और जुलूसों का आयोजन करना, इस्लाम को केवल अपने गर्व का विषय बना लेना—इनमें से किसी चीज़ का जन्नत से कोई संबंध नहीं है। ऐसी कोई भी चीज़ किसी इंसान को हरगिज़ जन्नत में नहीं ले जा सकती।
जन्नत में केवल वही लोग प्रवेश करेंगे, जो जन्नती व्यक्तित्व लेकर वहां पहुंचेंगे। क़ुरआन में जन्नती व्यक्तित्व को तज़किया याफ्ता शख्सियत (purified personality) कहा गया है (सूरह ताहा: 76)। जन्नती व्यक्तित्व वही है, जो जन्नत की आवश्यकताओं के अनुरूप एक तैयार शख्सियत (prepared personality) हो। इस व्यक्तित्व की तैयारी इसी दुनिया में होती है।
मौजूदा दुनिया में विभिन्न परिस्थितियों और अनुभवों के दौरान इंसान खुद को एक पवित्र और सकारात्मक व्यक्तित्व बनाता है। वह खुद को नकारात्मक भावनाओं से बचाकर सकारात्मक स्वभाव वाला बनाए रखता है। मुख़ालिफ़ हालात के बावजूद वह सिद्धांतों पर कायम रहता है। वह कभी अन्याय का सहारा नहीं लेता। वह अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखता है। वह अपनी स्वतंत्रता का गलत उपयोग करने से बचता है। वह बिना किसी दबाव के दूसरों के अधिकारों का पालन करता है। वह हमेशा सच बोलता है। वह किए हुए वादों को पूरा करता है। न तो कोई असफलता उसे निराश करती है और न कोई सफलता उसे अहंकारी बनाती है।
यही जन्नती व्यक्तित्व है, और ऐसे ही लोग जन्नत के बागों में स्थान पाएंगे।