भविष्यवाणी योग्य चरित्र
क़ुरआन में पसंदीदा बन्दों की विशेषता यह बताई गई है कि वे अपने वादे को पूरा करने वाले लोग हैं, कि वे किसी से वादा कर लें तो उसे ज़रूर पूरा करते हैं. यह बिल्कुल वही नैतिक गुण है, जिसको हमने भविष्यवाणी के योग्य चरित्र (predictable character) कहा है.
जिस तरह लोहे के ऊपर किसी छत को खड़ा किया जाए तो पहले से यह यकीन होता है कि वह छत के बोझ को संभाल लेगा. इसी तरह जब एक इन्सान दूसरे इन्सान से कोई वादा करे तो पहले से यह विश्वास होना चाहिए कि वह ज़रूर उस वादे को पूरा करेगा, वह किसी हाल में भी उससे नहीं हटेगा.
इसी बात को एक हदीस में इस तरह बयान किया गया है कि मुनाफ़िक़ (कपटी झूठा, पाखंडी) आदमी की तीन निशानियां हैं— जब वह बात करे तो झूठ बोले, जब वह वादा करे तो उससे फिर जाए जब उसको अमानत सौंपी जाए तो वह अमानत में खयानत करे.
उपरोक्त तीनों बातें भविष्यवाणी के योग्य चरित्र के ख़िलाफ़ हैं. जब किसी इन्सान से बात की जाती है तो इस विश्वास पर की जाती है कि वह सही बात कहेगा, वह झूठ और ग़लत बयानी से काम नहीं लेगा. अब अगर वह सत्य के विपरीत बोलने लगे तो उसने पूर्वानुमान के विरुद्ध कार्य किया. इसी तरह जब किसी से वचन लिया जाता है तो इस विश्वास पर लिया जाता है कि वह इस वचन पर अडिग रहेगा. अब अगर आदमी अपने वचन से फिर जाए या उसके विरुद्ध काम करने लगे तो उसने अपने बारे में पूर्वानुमान को पूरा नहीं किया. इसी तरह जब कोई अमानत (धरोहर) किसी को सौंपी जाती है तो इसी भरोसे पर सौंपी जाती है कि वह वक़्त पर इसे पूरी तरह लौटा देगा. अब अगर वह समय पर अमानत उसके हक़दार को न लौटाए तो इसका मतलब यह है कि वह भविष्यवाणी के योग्य (या विश्वसनीय) चरित्र का आदमी नहीं है.
क़ायनात अपने भविष्यवाणी के योग्य चरित्र के कारण कामिल (सही प्रामाणिक और सम्पूर्ण) है. इसी तरह इन्सान भी उसी हालत में ‘कामिल’ हो सकता है जब वह भविष्यवाणी के योग्य चरित्र वाला बन जाए।