अंधविश्वास
अमरीकी रिपब्लिकन पार्टी के एक पदाधिकारी श्री सैलर (Sayler) ने बताया था कि अमरीकी (पूर्व) राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन हर वक़्त अपनी जेब में एक छोटी-सी सोने की नाल रखते हैं। यह नाल उनको राष्ट्रपति बनने से लगभग पांच साल पहले उनके एक दोस्त ने दी थी। श्री रीगन को विश्वास है कि इस सुनहरी नाल में चमत्कारिक असर है। वह उनको हर आफ़त से बचाती है 1981 में जब उनके ऊपर क़ातिलाना हमला किया गया तो उनके ख़्याल के मुताबिक़ इस नाल ने उनको बचा लिया।
यह नाल हर वक़्त श्री रीगन के पास रहती है। जून 1981 की एक मुलाक़ात में श्री सैलर ने उनसे पूछा, “क्या आप अब भी इस नाल को अपनी जेब में रखतें हैं?” राष्ट्रपति रीगन ने कहा, “हां, ज़रूर।”
इसके बाद उन्होंने अपनी बाईं जेब में हाथ डाला और वह नाल निकाल कर दिखाई। (टाइम्स ऑफ़ इंडिया 24 जून 1981)
बेशक यह एक अंधविश्वास (superstition) है। पर इस अंधविश्वास का एक ज्ञात कारण है। वह यह कि मौजूदा दुनिया में इन्सान के साथ जो कुछ घटता है वह सब इतना रहस्यपूर्ण होता है कि आदमी पूरी तरह उसकी व्याख्या नहीं कर पाता, उसे समझ नहीं पाता। ऐसा मालूम होता है कि कुछ छुपे हुए कारक (factors) हैं जो किसी आदमी को कामयाब और किसी को नाकाम कर देते।
कोई शख़्स एक नतीजे से दो-चार होता है और कोई शख़्स दूसरे नतीजे से। और दोनों में से कोई भी सही अर्थों में नहीं बता सकता कि उसके साथ जो हुआ वह क्यों हुआ? एक बार मैंने एक बड़े व्यापारी से पूछा कि कारोबार में कामयाबी का राज़ क्या है? वह कुछ देर सोचता रहा। आख़िर में कहा कि ‘क़िस्मत’; अगर कोई शख़्स तीन कारण पूछे तो मैं कहूंगा क़िस्मत, क़िस्मत, क़िस्मत!
यह रहस्यमय इसलिए है कि सब कुछ करने वाला ख़ुदा है। पर इन्सान चूंकि परोक्ष ख़ुदा को देख नहीं पाता इसलिए वह किसी न किसी दिखाई देने वाली चीज़ को ख़ुदा बना लेता है, चाहे वह सोने की एक नाल हो या पत्थर की एक अंगूठी।
इन्सान मज़बूर है कि वह किसी को अपना मा ‘बूद (उपास्य, आराध्य) बनाए- ख़ुदा को या ख़ुदा को छोड़कर किसी और को।