रहमत वाले नबी का तरीक़ा
मक्का की फ़त्ह के बाद मक्का की बहुत सी औरतों ने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आकर इस्लाम क़बूल किया। उन्हीं में से एक अबू सुफ़ियान की बीवी हिन्द बिन्त उत्बा थीं। यह वही औरत है, जिसने उहुद की जंग में हज़रत हम्ज़ा की लाश की बेहुर्मती की थी। वह कई औरतों के साथ आई। उसने कहा कि अगर मैं मुहम्मद (स.) के सामने बोली तो वह मुझे पहचान लेंगे, और अगर उन्होंने पहचान लिया तो वह मुझे क़त्ल कर देंगे।
बैअत (दीक्षा) के वक़्त हिन्द ने नक़ाब से अपना चेहरा छिपा लिया। मगर वह ऊंचे ख़ानदान की औरत थी, इसलिए वह अपनी बड़ाई के एहसास से चुप न रह सकी। बैअत के अल्फ़ाज़ अदा करते हुए जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने औरतों से फ़रमाया कि यूं कहो कि हम अपनी औलाद को क़त्ल न करेंगे, तो हिन्द ने बेबर्दाश्त होकर गुस्ताख़ी के अल्फ़ाज़ कहे। उसके अल्फ़ाज़ अलग-अलग रिवायतों में इस तरह नक़्ल किए गए हैं:
- हिन्द ने कहा कि आपने उनको बद्र के दिन क़त्ल कर दिया इसलिए आप जानें और वे जानें।
- हमने छोटे पर उन्हें पाला और बड़े पर आपने उन्हें क़त्ल कर दिया।
- आप ख़ुद तो उनके बापों को क़त्ल करते हैं और हमको उनकी औलाद के बारे में नसीहत कर रहे हैं।
हिन्द ने इससे पहले भी बार-बार रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताख़ी की थी। ऊपर वाले वाक़िए में तो उसने आमने-सामने तौहीने-रिसालत की और ईशदूतत्व का अपमान किया। मौजूदा ज़माने के नाम-निहाद (तथाकथित) मुस्लिम लीडरों ने जो अपनी मर्ज़ी का इस्लाम बना रखा है, यही इस्लाम अगर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का भी होता तो आप फ़ौरन हिन्द को क़त्ल करा देते। मगर आपने बैअत लेकर हिन्द को इस्लाम में दाख़िल कर लिया।
आज मुसलमानों से सबसे बड़ी चीज़ जो खोई गई है वह रहमत वाले नबी का यही तरीक़ा है।