स्वर्ग की एक प्रतिकृति (Replication) इसी संसार में है और पारलौकिक (Transcendental) स्वर्ग में वही इंसान जाएगा, जिसने संसार में स्वर्ग की इस प्रतिकृति को पा लिया हो।
क़ुरआन में बताया गया है कि ईमान वालों को जिस स्वर्ग में प्रविष्ट किया जाएगा, उसकी पहचान उन्हें इसी संसार में कराई जा चुकी होगी। दूसरी जगह कहा गया है कि स्वर्ग की जीविका उस जीविका के समान होगी, जिसकी तौफ़ीक़ उन्हें सांसारिक जीवन में मिली थी।
हदीस में कहा गया है कि स्वर्ग और नरक वास्तव में इंसान के ही कर्म हैं, जो इंसान की ओर लौटाए जाते हैं।
इससे पता चलता है कि स्वर्ग में प्रवेश करने का प्रारंभ इसी संसार से हो जाता है। स्वर्ग में जाने वाला इंसान अपने स्वर्ग को इसी संसार में पा लेता है। जिस प्रकार स्वर्ग की एक प्रतिकृति (Replication) इसी संसार में है और पारलौकिक (Transcendental) स्वर्ग में वही इंसान जाएगा, जिसने संसार में स्वर्ग की इस प्रतिकृति को पा लिया हो। स्वर्ग की यही प्रतिकृति जैसे नक़द पुरस्कार है, जो वास्तविक पुरस्कार से पहले उसे एक प्रारंभिक प्रतीक के रूप में दे दिया जाता है।
यह स्वर्ग वाला कौन है? यह वह इंसान है, जिसने संसार में उन अवस्थाओं का अनुभव किया हो, जो परलोक में उसे स्वर्ग का पात्र बनाने वाले हैं। जिसके रोंगटे खड़े होकर उसे ईश्वर के निरीक्षण का अहसास दिला चुके हों, जिसके दिल पर टुकड़े कर देने वाले प्रकाश के अवतरण ने उसे ईश्वर की निकटता से परिचित किया हो, जिसने द्वेष व प्रतिशोध की भावना को अपने अंदर कुचलकर ईश्वरीय क्षमा का अवलोकन किया हो, जिसने अपनी शर्मिंदगी के आँसुओं में वह दृश्य देखा हो, जबकि एक दयालु स्वामी अपने सेवक को स्वीकार करने पर इसे अनदेखा करता है।
जिस पर यह पल गुज़रा हो कि एक आदमी पर नियंत्रण पाने के पश्चात भी वह उसे इसलिए छोड़ दे कि उसका ईश्वर भी उस दिन उसे छोड़ दे, जबकि वह उससे अधिक निर्बलता की स्थिति में होगा। जो एक सच बात के आगे इस प्रकार गिर पड़े, जैसे लोग न्याय के दिन ईश्वर को देखकर गिर पड़ेंगे।
वास्तविकता यह है कि मोमिन स्वर्ग का एक फूल है। वह वर्तमान संसार में आने वाले संसार की प्रारंभिक कली है। मोमिन पर वह सारे अनुभव इसी संसार में गुज़र जाते हैं, जो दूसरों पर मृत्यु के पश्चात गुज़रने वाले हैं। इंसान के जीवन में विभिन्न प्रकार की जो परिस्थितियाँ गुज़रती हैं, उन्हीं में हर इंसान का स्वर्ग और नरक छिपा हुआ होता है। इन परिस्थितियों में शैतानी प्रतिक्रिया व्यक्त करके कोई आदमी नरक का पात्र बन जाता है तो कोई फ़रिश्तों वाली प्रतिक्रिया व्यक्त करके स्वर्ग का पात्र।