हर तरफ़ फ़रेब

फ़रेब का कारोबार भी केवल उस समय तक है, जब तक ईश्वर प्रकट होकर अपने न्याय का तराज़ू खड़ा न कर दे।

आज का संसार फ़रेब का संसार है। आज के इंसान को ऐसे नारे मिल गए हैं, जिनसे वह अपनी निजी लूट की राजनीति को जन-सेवा की राजनीति प्रकट कर सके। हर इंसान ऐसे शब्दों का माहिर बना हुआ है, जो उसके अत्याचारों और लड़ाई-झगड़ों को बिल्कुल सच और न्याय का रूप दे सके। हर इंसान के हाथ में ऐसे क़ानूनी बिंदु आ गए हैं, जो उसके अपराध को बेगुनाही का सर्टीफ़िकेट प्रदान कर दें। यह सांसारिक लोगों का हाल है, लेकिन धार्मिक लोगों का मामला भी इससे कुछ अलग नहीं। यहाँ भी लोगों ने ऐसे फ़ज़ाइल व मसाइल का भंडार जमा कर रखा है, जो उनकी अधार्मिकता को धार्मिक कमाल के ख़ाने में डाल दें। जो उनकी कर्महीनता को कर्म का उत्तम श्रेय दे दे।

लोगों ने ऐसा ईश्वर खोजा हुआ है, जिससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं। लोगों को ऐसा पैग़ंबर हाथ आ गया है, जो केवल इसलिए आया था कि उनके सारे बुरे कर्मों के पश्चात भी ईश्वर के यहाँ उनका यक़ीनी सिफ़ारिशी बन जाए। लोगों को ऐसा परलोक मिल गया है, जहाँ स्वर्ग केवल अपने लिए है और नरक केवल दूसरों के लिए। लोगों को ऐसी नमाज़ें प्राप्त हो गई हैं, जिनके साथ अहंकार और ईर्ष्‍या जमा हो सकती है। लोगों को ऐसे रोज़े (व्रत) मालूम हो गए हैं, जो झूठ और अत्‍याचार से दूषित नहीं होते। लोगों को ऐसा धर्म मिल गया है, जो केवल वाद-विवाद करने के लिए है, न कि उस पर चलने के लिए।

लोगों को इस्‍लामी दावत के ऐसे नुस्ख़े मालूम हो गए हैं, जो उनके व्‍यक्तिगत नेतृत्‍व और राष्ट्रीय राजनीति को इस्‍लाम की पोशाक ओढ़ा दें, लेकिन झूठा सोना उसी समय तक सोना है, जब तक वह कसौटी पर न कसा गया हो। इसी तरह फ़रेब का कारोबार भी केवल उस समय तक है, जब तक ईश्वर प्रकट होकर अपने न्याय का तराज़ू खड़ा न कर दे।

आज परीक्षा की स्वतंत्रता है। आज इंसान के पास मौक़ा है कि जो चाहे करे, लेकिन जब परीक्षा का समय समाप्त होगा तो इंसान अपने आपको बिल्‍कुल लाचार पाएगा। वह बोलना चाहेगा, लेकिन उसके पास शब्‍द न होंगे कि वह बोल सके। वह चलना चाहेगा, लेकिन उसके पास पाँव न होंगे कि उनके द्वारा वह भागकर कहीं जा सके।

यह सच्‍चाई का दिन होगा। इस दिन हर इंसान के ऊपर से फ़रेब की वह पोशाक उतर चुकी होगी, जिसे आज वह पहने हुए है। हर इंसान अपने वास्तविक रूप में सामने होगा, जो सच में उसका है, लेकिन परीक्षा की स्वतंत्रता से लाभ उठाकर आज वह उसे छिपाए हुए है। इंसान का यह वास्‍तविक रूप ईश्वर के सामने आज भी नग्‍न है, लेकिन परलोक के संसार में वह सब लोगों के सामने स्‍पष्‍ट हो जाएगा।

Maulana Wahiduddin Khan
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