विज्ञान का विस्तार

यूरोप के इतिहास में छठी सदी ईo से लेकर 10वीं सदी ईo तक के काल को अंधकार युग (dark ages) कहा जाता है। यह वह युग है, जबकि यूरोप मानव समाज की उन्नति और सभ्यता से पूरी तरह से दूर था। यह यूरोप के लिए बौद्धिक अंधकार और बर्बरता का युग था।

“For Europe it was a period of intellectual darkness and barbarity.”

   [Encyclopaedia Britannica (1984), Vol. III, p. 380]

इस अंधकार युग का संबंध केवल यूरोप से था। ठीक उस समय जबकि यूरोप परअंधकार युगका अँधेरा छाया हुआ थाइस्लामी दुनिया में सभ्यता की रोशनी पूरी तरह से मौजूद थी। बर्ट्रेंड रसेल के शब्दों मेंठीक उसी युग में हिंदुस्तान से स्पेन तक इस्लाम की शानदार और प्रतिभाशाली सभ्यता अस्तित्व में आ चुकी थी।

“From India to Spain, the brilliant civilization of Islam flourished.”

[Bertrand Russell, History of Western Philosophy, p. 395]

यह इस्लामी सभ्यता जो सिसली और स्पेन में प्रविष्ट होकर यूरोप के अंदर तक पहुँच चुकी थीउसने यूरोप के लोगों को इतना प्रभावित किया कि पश्चिमी यूरोप के छात्र स्पेन के इस्लामी विश्वविद्यालयों (universities) में शिक्षा के लिए आने लगे। मुस्लिम दुनिया के बहुत से लोग निकलकर यूरोप पहुँचे। जब यूरोपीय लोगों को मालूम हुआ कि मुसलमान शिक्षा और ज्ञान के मामलों में उनसे बहुत आगे जा चुके हैं तो उन्होंने मुस्लिम विद्वानों की पुस्तकों का अनुवाद लैटिन भाषा में करना शुरू किया। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका (1984) के शोध लेखक ने लिखा है कि उस समय मुसलमानों के पास ऐसे पुस्तकालय थे, जिनकी पुस्तकों की संख्या 1,00,000 से अधिक थी। वह सारा मूल साहित्य जिसने यूरोप के नवजागरण को उभारावह मुस्लिम पुस्तकालयों की अरबी पुस्तकों के अनुवाद से प्राप्त किया गया था।

The Encyclopaedia Britannica says, “Most of the classical literature that spurred the European Renaissance was obtained from translations of Arabic manuscripts in Muslim libraries.”

[Encyclopaedia Britannica (1984), Vol. 15, p. 646]

आधुनिक समय में बहुत सारे ऐसे विद्वान और खोजकर्ता पैदा हुए हैं, जैसेगुस्ताव लिबानरॉबर्ट ब्रीफॉल्टजे.एम. रॉबर्ट, मोंटगोमेरी वाट और इसी तरह के कई विद्वान हैं, जिन्होंने स्पष्ट शब्दों में इस बात को स्वीकार किया है कि अरबों की खोज और जाँच के कामों के माध्यम से ही यूरोप में आधुनिक विज्ञान की शुरुआत हुई। इस दृष्टिकोण से यह कहना सही होगा कि यहाँ जो बात कही जा रही है, वह विश्वस्तर पर एक स्वीकृत बात है। अंतर केवल यह है कि दूसरे लोगों ने जिस घटना को ‘मुस्लिम इतिहासमें लिख रखा हैउसके बारे में हमारा कहना है कि इसेइस्लाम के इतिहासमें लिखा जाए। इसे इंसान के हिस्से से निकालकर ईश्वर के हिस्से में डाल दिया जाए।

Maulana Wahiduddin Khan
Share icon

Subscribe

CPS shares spiritual wisdom to connect people to their Creator to learn the art of life management and rationally find answers to questions pertaining to life and its purpose. Subscribe to our newsletters.

Stay informed - subscribe to our newsletter.
The subscriber's email address.

leafDaily Dose of Wisdom