कुछ उदाहरण

प्राचीनकाल में अनेकेश्वरवादी आस्थाओं के तहत चीज़ों को पवित्र और पूज्य मान लिया गया था। इस मानसिकता ने चीज़ों के बारे में स्वतंत्र सोच और चिंतन-मनन का दरवाज़ा बंद कर दिया था। उसके बाद एकेश्वरवाद की क्रांति आई, जिसने मानवीय इतिहास में पहली बार आज़ादी के साथ चिंतन-मनन करने का वातावरण पैदा किया। हर मामले में बेरोक-टोक और बिना किसी झिझक के जाँच-पड़ताल, शोध और अध्ययन का काम किया जाने लगा।

इस तरह एकेश्वरवाद की क्रांति ने मानवीय इतिहास में पहली बार सुनियोजित रूप से वैज्ञानिक तरीक़े के चिंतन-मनन की बुनियाद रखी। इससे पहले भी हालाँकि अलग-अलग और व्यक्तिगत सतह पर कुछ लोगों ने वैज्ञानिक तरह से जाँच और खोज का काम किया था, लेकिन विरोधी और प्रतिकूल माहौल के कारण उनका तथा उनके कामों का आदर नहीं हुआ और उनका काम आगे न बढ़ सका।

आम तौर पर दूरबीन का आविष्कारक गैलीलियो (15 फ़रवरी, 1564 से 8 जनवरी, 1642) को समझा जाता है, लेकिन सही बात यह है कि गैलीलियो के समय से बहुत पहले अबू इसहाक़ इब्न जंदूब (मृत्यु : 767 o) ने आसमान का अध्ययन किया। उन्होंने दूर की चीज़ों को देखने के लिए कुछ ख़ास नियम तैयार किए और उनके अनुसार दूरबीन का आविष्कार किया। गैलीलियो ने इस शुरुआती दूरबीन को आगे विकसित किया। यह हुनर और वैज्ञानिक तरीक़ा आगे बढ़ता रहा, यहाँ तक कि वह वर्तमान युग की इलेक्ट्रॉनिक दूरबीनों तक जा पहुँचा।

आधुनिक विज्ञान का बुनियादी अवलोकन (observation) जाँच-प्रयोग और अनुभव पर है, लेकिन प्राचीनकाल में कई प्रकार की अंधविश्वासी आस्थाएँ इस प्रकार के जाँच-प्रयोग और अनुभव की राह में रुकावट बने हुए थे। जाबिर इब्ने-हय्यान (मृत्यु : 817 o) ने अवलोकन, जाँच-प्रयोग और अनुभव की विज्ञान की महत्ता को समझा और इसका वैज्ञानिक अध्ययन में प्रयोग किया। उनकी लिखित सामग्री अनूदित होकर यूरोप पहुँची। यह सोच उन्नति करती रही और यहाँ तक कि वह चीज़ अस्तित्व में आई, जिसे वर्तमान समय में प्रायोगिक विज्ञान (experimental science) कहा जाता है।

आधुनिक काल में यह माना जाता है कि धरती सूरज के गिर्द गोल क्षेत्र में नहीं घूमती, बल्कि अंडाकार पथ (elliptical orbit) पर घूमती है। ग्रहों की यह हरकत आज केप्लर के तीसरे नियम के नाम से प्रसिद्ध है, लेकिन इस ब्रह्मांडीय घटना को शुरुआती तौर पर जिसने खोजा, वह अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद इब्न जाबिर अल-बत्तानी (मृत्यु : 929 o) हैं। उन्होंने अपने खगोलीय अवलोकन (astronomical observation) और जाँच के माध्यम से इस सच्चाई को मालूम किया और इसके बारे में पुस्तक लिखी। उनकी पुस्तक अनूदित होकर यूरोप पहुँची और आधुनिक प्रायोगिक विज्ञान (modern experimental science) को अस्तित्व में लाने का कारण बनी।

Al-Battani (born c. 858, in or near Haran, near Urfa, Syria—died 929, near Sammara, Iraq), Arab astronomer and mathematician who refined existing values for the length of the year and of the seasons, for the annual precession of the equinoxes, and for the inclination of the ecliptic. He showed that the position of the Sun’s apogee, or farthest point from the Earth, is variable and that annular (central but incomplete) eclipses of the Sun are possible. He improved Ptolemy’s astronomical calculations by replacing geometrical methods with trigonometry. From 877 he carried out many years of remarkably accurate observations at ar-Raqqah in Syria.

Al-Battani was the best known of Arab astronomers in Europe during the Middle Ages. His principal written work, a compendium of astronomical tables, was translated into Latin in about 1116 and into Spanish in the 13th century. A printed edition, under the title De motu stellarum (On Stellar Motion), was published in 1537.

[Encyclopaedia Britannica—Arab astronomer and mathematician]

अबू अली इब्न अल-हेशाम (965-1040 o) जिन्हें पश्चिम में अल-हज़न के नाम से जाना जाता हैवे इतिहास में पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने भौतिक चीज़ों में जड़त्व (inertia) का विचार दिया। उनकी यह खोज अनूदित होकर यूरोप पहुँची। वहाँ के विद्वानों ने उसे पढ़ा तथा उस पर और अधिक खोज का काम किया। यहाँ तक कि वह चीज़ अस्तित्व में आई, जिसे भौतिक चीज़ों की गति के बारे में न्यूटन के पहले नियम के नाम से जाना जाता है। यह दरअसल इब्न अल-हेशाम हैं, जिन्होंने सबसे पहले यह खोज की कि रोशनी एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए ऐसा रास्ता चुनती है, जिसमें कम-से-कम समय लगे। यही वह खोज है, जो आधुनिक समय में ‘फ़रमा के सिद्धांत’ (Fermat’s principle) के नाम से सारी दुनिया में प्रसिद्ध है।

इब्न अल-हेशाम या अल-हज़न एक अग्रणी वैज्ञानिक चिंतक-विचारक थे, जिन्होंने दृष्टि विज्ञान और प्रकाश विज्ञान (optics) की समझ के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। विज्ञान के सिद्धांत को सत्यापित करने के लिए प्रयोग-कार्य का उपयोग ख़ास तौर से जाँच की उनकी पद्धति, आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति को अस्तित्व में लाने का कारण बनी। प्रकाश विज्ञान पर उनकी पुस्तककिताब अल-मनाज़िर’ (Book of Optics) लैटिन भाषा में (De Aspectibus) अनूदित होकर यूरोप पहुँची। इस पुस्तक में मौजूद उनके विचारों ने यूरोप के विद्वानों को बहुत प्रभावित किया।

आधुनिक समय के बहुत सारे लोग उन्हें प्रकाश विज्ञान के इतिहास का अत्यधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति औरआधुनिक प्रकाश विज्ञान का पितामानते हैं। उन्होंने प्रकाश विज्ञान से संबंधित विभिन्न विषयों पर कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं। लैटिन भाषा में अनूदित की गई उनकी पुस्तकों ने मध्यकालीन और पुनर्जागरण यूरोप के बहुत सारे चिंतकों और विचारकों, जैसेरोजर बेकन (Roger Bacon), रेने डेसकार्टेस (Rene Descartes) और क्रिस्चियन हुय्गेंस (Christian Huygens) आदि को प्रभावित किया। पश्चिम ने उनके सम्मान में चाँद के क्रेटर और क्षुद्रग्रह 59,239 (Asteroid 59239) को अल-हज़न नाम दिया है।

Maulana Wahiduddin Khan
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