शिक्षण और प्रशिक्षण
अगस्त 1945 में जापान पूरी तरह नष्ट हो गया। उसने अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता खो दी थी।। इसके बाद, जापान ने राजनीतिक स्वतंत्रता के मुद्दे को उठाए बिना आर्थिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना शुरू किया। इस पद्धति के माध्यम से, जापान ने इतनी सफ़लता हासिल की कि आज उसे एक आर्थिक सुपर पॉवर (economic super power) माना जाता है। 1990 तक जापान ने दुनिया को 5 खरब डॉलर का कर्ज़ दिया था। अनुमान है कि 1995 तक जापान के वैश्विक ऋण की मात्रा 10 खरब डॉलर हो जाएगी। 1945 में जापान अमेरिका का राजनीतिक गुलाम था, लेकिन आज जापान ने ख़ुद अमेरिका को अपना आर्थिक कर्ज़दार बना लिया है।
एक पाकिस्तानी पत्रकार, श्री अबू ज़र ग़फ़ारी, मई 1992 में काबुल गए। वहाँ उनकी मुलाक़ात एक जापानी पत्रकार से हुई। उन्होंने जापानी पत्रकार से पूछा कि जापान की इस अद्भुत प्रगति का रहस्य क्या है? जापान ने असंभव को कैसे संभव बना दिया?
जापानी पत्रकार ने जवाब दिया कि जापान की उच्च प्रगति का रहस्य जापानी राष्ट्र के उच्च चरित्र में छुपा हुआ है। उसने कहा कि हमारे पास प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं, इसलिए हम अपने बच्चों को अपनी सबसे बड़ी पूँजी मानते हैं। जापान का हर घर एक जापानी बच्चे के प्रशिक्षण का केंद्र है। जापानी लोग अपने सर्वश्रेष्ठ संसाधन अपने बच्चों की शिक्षा पर ख़र्च करते हैं। नतीजतन, जापानी राष्ट्र अब पूरी तरह से शिक्षित राष्ट्र है। हमारे यहाँ अज्ञानता का कोई अस्तित्व नहीं है। जापान में इतने सारे वैज्ञानिक रूप से शिक्षित लोग हैं कि आप जापान को एक वैज्ञानिक राष्ट्र कह सकते हैं।
इस शिक्षा और प्रशिक्षण ने जापान के लोगों में सर्वोच्च राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण किया है, उदाहरण के लिए, जापानी लोग अत्यंत देशभक्त है। अगर देश को एक रुपये का नुक़सान हो रहा हो, तो एक जापानी अपने देश को एक रुपये के नुक़सान से बचाने के लिए सौ रुपये का नुक़सान सहने को अपना सम्मान समझेगा।
(नवा-ए-वक्त, लाहौर, 12 जुलाई, 1992)
जापान ने अपने प्रतिद्वंद्वी से टकराव को छोड़ दिया। उसके बाद ही यह संभव हुआ कि उसने अपने देश में एक उच्च वैज्ञानिक समाज का निर्माण किया। यही इस दुनिया में प्रगति और सफ़लता का एकमात्र रास्ता है।