बच्चों में बिगाड़
एक सज्जन ने कहा कि आज कल माता-पिता अक्सर यह शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे बिगड़ गए हैं। इसके लिए वे सबसे ज़्यादा टीवी को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। उनका मानना है कि टीवी ने उनके बच्चों को बिगाड़ दिया है। उन्होंने मुझसे पूछा कि इस बारे में आपकी क्या राय है। मैंने कहा कि अगर यह पूरा मामला टीवी का है, तो माता-पिता अपने घर में टीवी क्यों रखते हैं? बच्चे ख़ुद जाकर टीवी नहीं ख़रीदते। माता-पिता ही बच्चों को ख़ुश करने के लिए टीवी लाकर घर में रखते हैं। इसलिए इस मामले में असली ज़िम्मेदारी माता-पिता की है, न कि बच्चों की।
सच तो यह है कि बच्चों के बिगड़ने का असली कारण लाड़-प्यार (pampering) है। माता-पिता की सोच यह होती है कि उनके बच्चों की हर इच्छा पूरी की जाए। जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उनकी इच्छाएँ केवल खाने-पीने और कपड़े जैसी चीज़ों तक सीमित होती हैं। इसलिए छोटी उम्र में माता-पिता अपनी सोच की ग़लती को नहीं समझ पाते, लेकिन जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो उनकी रुचियाँ बढ़ने लगती हैं। अब वे दोस्ती, सैर-सपाटा, क्लब और प्यार-प्रसंग जैसी चीज़ों की ओर बढ़ने लगते हैं। जब ऐसा होता है, तो माता-पिता उन्हें रोकते हैं, लेकिन बच्चे उनकी बात नहीं मानते। यह निस्संदेह माता-पिता की लापरवाही का नतीजा है।
छोटी उम्र में ही माता-पिता ने अपने बच्चों के मन में यह सोच पैदा कर दी कि उनकी हर इच्छा पूरी होनी चाहिए। जब वे बड़े हुए, तो यह स्वभाव और अधिक विकसित हो गया। अब वे अपनी इच्छाएँ पूरी करने के लिए उन चीज़ों की ओर बढ़ने लगे, जो माता-पिता को पसंद नहीं हैं।
लेकिन सवाल यह है कि बच्चों में ‘मेरी इच्छा ही सब कुछ है’ वाली मानसिकता किसने पैदा की? यह माता-पिता ने अपने लाड़-प्यार के ज़रिये ख़ुद पैदा की है। सच्चाई यह है कि इस मामले में माता-पिता प्यार के नाम पर बच्चों के साथ दुश्मनी का काम कर रहे हैं।