पारंपरिक शिक्षा
अमेरिका की यात्रा हुई। वहाँ माउंट हॉली (न्यू जर्सी) की मस्जिद में एक सभा हुई। इसमें ज़्यादातर महिलाएँ शामिल थीं। इस सभा का विषय था “अमेरिकी समाज में बच्चों की इस्लामी शिक्षा”। इस पर बोलते हुए, जो कुछ मैंने कहा उसका सार यह था: मैंने कहा कि अगली पीढ़ी की इस्लामी शिक्षा इस तरह नहीं हो सकती कि आप किसी मौलवी साहब को नियुक्त करें, जो रोज़ शाम को आकर बच्चों को ‘इस्लामी पाठ’ पढ़ाएँ या आप बच्चों के लिए कोई धार्मिक पत्रिका निकालें या उन्हें सांस्कृतिक रूप से कुछ चीज़ों की आदत डालने की कोशिश करें। इसका एकमात्र हल यह है कि अगर आप अपने बच्चों को इस्लामी बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने घर को अध्यात्मिक बनाएँ।
आपके घर में दुनिया की बातें नहीं होनी चाहिए, बल्कि धर्म की चर्चा होनी चाहिए। घर का माहौल भौतिकता से रंगा हुआ नहीं होना चाहिए, बल्कि आख़िरत (परलोक) के रंग में रँगा होना चाहिए।