लड़कियों की परवरिश
लड़कियों की परवरिश के संबंध में पैग़म्बर मोहम्मद के कथन इन शब्दों में है: “जिसकी तीन बेटियाँ हों, उसने उन्हें अच्छा व्यवहार सिखाया, उनकी शादी की और उनके साथ अच्छा बर्ताव किया, तो उसके लिए स्वर्ग है।” (सुनन अबू दाऊद, हदीस न० 5147)।
आम धारणा यह है कि यदि किसी पिता की कई बेटियाँ हों और कोई बेटा न हो, तो वह बेटियों को कम महत्त्व देता है। इस हदीस में इसी सोच का खंडन किया गया है। चाहे पिता के घर लड़का हो या लड़की, दोनों ही स्थितियों में पिता की ज़िम्मेदारी यह है कि वह अपने बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दे और उन्हें ऐसी परवरिश दे, जो उनके जीवन को बेहतर ढंग से जीने में मददगार बने।
अक्सर पिता की प्रवृत्ति यह होती है कि वह अपनी संतान को जीवन की सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराए। वह अधिक-से-अधिक कमाई करके उन्हें धन दे सके, मगर यह सोच सही नहीं है। बच्चों के लिए पिता का सबसे बड़ा उपहार धन नहीं, बल्कि शिक्षा है। पिता का कमाया हुआ धन बच्चों के लिए बिना मेहनत का पैसा होता है और ऐसा पैसा अक्सर इंसान को बिगाड़ देता है। सही तरीक़ा यह है कि इंसान अपनी संतान को शिक्षा दे और उन्हें इस योग्य बनाए कि वे ख़ुद मेहनत करके अपने जीवन को बेहतर बना सकें।