अल्लाह से मांगने की
सबसे बड़ी चीज़ मग़फ़िरत है
अन्स बिन मालिक रज़ि अल्लाहु अन्हु कहते हैं: अन्सार के पास सिंचाई के ऊंटों की तंगी हुई। वह रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आए, ताकि आप उनके लिए ऊंटों का इंतिज़ाम कर दें या खूब बहने वाली नहर ख़ुदवा दें। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनको देख कर फ़रमायाः अन्सार के लिए मरहबा! अन्सार के लिए मरहबा! अन्सार के लिए मरहबा! (यानी अन्सार का स्वागत है) आज तुम मुझसे जिस चीज़ का भी सवाल करोगे मैं तुम्हें ज़रूर दूंगा और तुम्हारे लिए अल्लाह से जो चीज़ भी मांगूंगा वह ज़रूर अता फ़रमाएगा ।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जुबान से यह कलिमात सुन कर अन्सार का दिल फिर गया। उन्होंने सोचा कि मांगने की ज़्यादा बड़ी चीज़ तो आख़िरत है। फिर ऐसे क़ीमती मौक़े पर आपसे दुनिया क्यों मांगे। उन्होंने एक दूसरे से कहाः इस मौके को ग़नीमत जानो और आपसे मफ़िरत (बख़शिश) का सवाल करो ।
उन्होंने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, हमारे लिए मग़फ़िरत की दुआ फ़रमाएं। आपने फ़ौरन कहाः ऐ अल्लाह, अन्सार की मग़फ़िरत फ़रमा, उनके लड़कों की मग़फ़िरत फ़रमा, उनकी औरतों की मग़फ़िरत फ़रमा (अहमद)