अल्लाह के डर की वजह से
कोड़ा हाथ से गिर पड़ा
अबू मसऊद बदरी रज़ि अल्लाहु अन्हु कहते हैं। एक रोज़ मैं किसी बात पर अपने गुलाम से ख़फ़ा हो गया और उसको कोड़े से मारने लगा। इतने में पीछे से आवाज़ सुनाई दी: “ऐ अबू मसऊद, जान लो। “ मगर मैं गुस्से की हालत में था। आवाज़ को पहचान न सका। आवाज़ देने वाला जब मेरे क़रीब आ गया तो मैंने देखा कि वह रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं। आप फ़रमा रहे थे:अबू मसऊद जान लो, तुमको जितना क़ाबू उस शख़्स पर है, उससे ज़्यादा क़ाबू अल्लाह को तुम्हारे ऊपर है ।
यह सुन कर कोड़ा मेरे हाथ से गिर गया। मैंने कहाः “अब कभी मैं किसी गुलाम को न मारूंगा। मैं इस गुलाम को अल्लाह की खुशी के लिए आज़ाद करता हूं। “ रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः
अगर तुम ऐसा न करते आग की लपट तुमको छू लेती (मुस्लिम) ।