जन्नत, जहन्नम

हज़रत अबू हुरैरा कहते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमायाः मैंने जहन्नम जैसी चीज़ नहीं देखी, जिससे भागने वाला सो गया हो। और मैंने जन्नत जैसी चीज़ नहीं देखी जिसका चाहने वाला सो गया हो (तिरमिज़ी)।

आदमी को सबसे ज़्यादा जहन्नम से भागना चाहिए। मगर आदमी जहन्नम के मसले को बिल्कुल भूला हुआ है। आदमी को सबसे ज़्यादा जन्नत का चाहने वाला बनना चाहिए, लेकिन उसके अन्दर जन्नत को हासिल करने का कोई शौक़ नहीं। इन्हीं दो शब्दों में सारे इन्सानों की कहानी है।

इन्सानों का यह हाल कैसा अजीब है। लोगों में जहन्नम का कोई अन्देशा नहीं और जन्नत की कोई चाह नहीं। ऐसी हालत में यह कैसे हो सकता है कि वे जहन्नम की आग से निजात पाएं और उनके लिए जन्नत की नेमतों के दरवाज़े खोले जाएं।

लोगों के अन्देशे किसी और चीज़ के लिए हैं। उनके जज़्बात किसी और बात पर भड़कते हैं। उनके छुपे हुए ख़ौफ़ और उम्मीद के जज़्बात किसी और चीज़ के लिए हैं। ऐसी हालत में यह कैसे हो सकता है कि वे ख़ुदा की रहमतों के योग्य ठहराए जाएं।

दुनिया के मसले को लोगों ने अपना मसला बना रखा है। आख़िरत के मसले को किसी ने अपना मसला नहीं बनाया। दुनिया की दौलत, दुनिया की लीडरशिप, दुनिया की शोहरत, दुनिया की नेकनामी, यही सब चीज़ें लोगों के ध्यान का केन्द्र हैं। आज की दुनिया में कोई नहीं जो आख़िरत की बख़्शिश और आख़िरत की निजात के मामले में चिंतित हो। आख़िरत के अज़ाब का डर और आख़िरत की जन्नत की लालसा जिसको परेशान कर दे।

आह, वह दुनिया, जहां सब कुछ हो, पर वही चीज़ न हो जिसको सबसे ज़्यादा होना चाहिए। आह, वह इन्सान जो सब कुछ जाने मगर वही बात न जाने जिसको उसे सबसे ज़्यादा जानना चाहिए। यह बेशक सबसे बड़ी भूल है। एक वक़्त आएगा कि आदमी अपनी इस भूल को जानेगा। पर वह जानना सिर्फ़ हसरत के लिए होगा न कि खोए हुए को पाने के लिए।

Share icon

Subscribe

CPS shares spiritual wisdom to connect people to their Creator to learn the art of life management and rationally find answers to questions pertaining to life and its purpose. Subscribe to our newsletters.

Stay informed - subscribe to our newsletter.
The subscriber's email address.

leafDaily Dose of Wisdom