मुक्ति (नजात)
इंसान की सबसे बड़ी समस्या क्या है? यह है कि मौत के बाद आने वाली ज़िंदगी में उसे मुक्ति प्राप्त हो। वह ईश्वर की अनंत कृपा में स्थान पाए।
हर इंसान, जो इस दुनिया में पैदा हुआ है, उसे मौत के बाद एक और दुनिया में प्रवेश करना है। इस दुनिया में इंसान को जीवन के जो मौक़े मिले हैं, वे एक परीक्षा के लिए हैं, लेकिन अगली दुनिया में जो कुछ भी मिलेगा, वह उसके कर्मों के आधार पर मिलेगा। इसका मतलब यह है कि मौत से पहले की दुनिया में हर व्यक्ति को हर चीज़ स्वाभाविक रूप से मिली होती है, चाहे वह उसका हक़दार हो या न हो, लेकिन मौत के बाद की दुनिया में यह व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। वहाँ चीज़ों को पाने का आधार ‘‘योग्यता’ होगा, न कि‘परीक्षा’।
इसका अर्थ यह है कि अगली दुनिया में जो लोग हक़दार साबित होंगे, उन्हें हर प्रकार की नेमतें और भी ज़्यादा मिलेंगी, लेकिन जो लोग अयोग्य साबित होंगे, उनके लिए वहाँ कुछ भी नहीं होगा। वे मजबूर होंगे कि वहाँ वे पूरी तरह से वंचित होकर जीवन बिताएँ।
यही हर इंसान की सबसे बड़ी समस्या है। हर इंसान को सबसे ज़्यादा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा न हो कि वह अगली ज़िंदगी में अयोग्य साबित हो और मुक्ति पाने वालों में शामिल न हो। हर इंसान को अपनी सारी ताक़त और ध्यान इस बात पर लगाना चाहिए कि इस दुनिया में वह ऐसा जीवन जिए कि अगले जीवन के चरण में वह अयोग्य साबित न हो, बल्कि वहाँ उसे सुख और मुक्ति प्राप्त हो।
अगली दुनिया एक बेहद संपूर्ण और अनंत दुनिया है। वहाँ हर प्रकार की सुख-सुविधाएँ और ख़ुशियाँ भरपूर मात्रा में रखी गई हैं। यही वह दुनिया है, जिसकी इंसान को कामना करनी चाहिए और यही वह दुनिया है, जिसके लिए इंसान अपनी सारी ऊर्जा ख़र्च कर दे, लेकिन इस नेमतों भरी दुनिया के लिए कर्म करने का समय सिर्फ़ मौत से पहले की दुनिया है, मौत के बाद की दुनिया नहीं। आज की दुनिया कर्म करने की जगह है और अगली दुनिया कर्मों का फल पाने की जगह। मुक्ति केवल उन लोगों को मिलेगी, जो इस दुनिया में अपने आपको मुक्ति के योग्य साबित करेंगे।