ईश्वर
ईश्वर एक है। ईश्वर हमेशा से है और हमेशा रहेगा। वह सब कुछ है। सारी चीज़ें ईश्वर से बनी हैं, पर ईश्वर किसी से नहीं बना। ईश्वर ही हर चीज़ को बनाने वाला है और वही पूरे संसार को चलाने वाला है।
‘ईश्वर के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं है। वह ज़िंदा है और हर चीज़ को संभालने वाला है। उसे न ऊँघ आती है और न नींद। जो कुछ आसमान में है और जो कुछ ज़मीन में है, सब उसी का है। उसकी इजाज़त के बिना कोई भी उससे सिफ़ारिश नहीं कर सकता। वह जानता है, जो कुछ उनके सामने है और जो कुछ उसके पीछे है। उसके ज्ञान में कोई दाख़िल नहीं हो सकता सिवाय उसके जिसे वह इजाज़त दे। उसकी बादशाहत आसमान और ज़मीन दोनों पर फैली हुई है। उसे उन्हें संभालने में कोई थकान नहीं होती। वही सबसे ऊँचे दर्जे वाला है।’
(क़ुरआन, अल-बकरा)
क़ुरआन में कहा गया है: ‘कहो कि वह ईश्वर एक है। ईश्वर को किसी की ज़रूरत नहीं, न उसकी कोई औलाद है और न वह किसी की औलाद है और कोई उसके बराबर नहीं।
(अल-इख़लास)
क़ुरआन की यह सूरहईश्वर के एक होने पर ज़ोर देती है। यह बताती है कि ईश्वर एक है और इसका मतलब क्या है। इस सूरह में ईश्वर के बारे में साफ़-साफ़ बताया गया है और उसे उन बातों से अलग किया गया है, जिन्हें लोग समय-समय पर ईश्वर से जोड़ते रहे हैं। ईश्वर कई नहीं है, वह केवल एक है। सब उसी के मोहताज हैं, जबकि वह किसी का मोहताज नहीं है। वह अपने आप में ही हर चीज़ पर काबू रखता है। वह इससे बुलंद है कि इंसानों की तरह वह किसी की औलाद हो या उसकी कोई औलाद हो। वह अकेला है, जिसकी कोई बराबरी नहीं। हर तरह की एकता सिर्फ़ उसी के लिए है और वह सिर्फ़ ईश्वर है।
एक ईश्वर का विश्वास इस्लाम का सबसे केंद्रीय विश्वास है। यही विश्वास इस्लाम का असली आधार है और यही इस्लाम की सभी शिक्षाओं का एकमात्र स्रोत है।