घरेलू जीवन

पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद ने फ़रमाया कि तुम में सबसे अच्छा इंसान वह है, जो अपने घरवालों के लिए सबसे अच्छा हो। यह बात घर के हर सदस्य के लिए लागू होती है, चाहे वह महिला हो या पुरुष, छोटा हो या बड़ा। हर किसी को अपने घर में एक अच्छा पुरुष या एक अच्छी महिला बनकर रहना है। हर किसी को अपने परिवार का अच्छा सदस्य बनना है।

घर क्या है? घर सामाजिक जीवन की सबसे बुनियादी इकाई है। कई घरों के मिलकर बनने से समाज बनता है। अगर घर का माहौल अच्छा हो तो समाज का माहौल भी अच्छा होगा और अगर घर का माहौल बिगड़ जाए तो समाज का माहौल भी निश्चित रूप से बिगड़ जाएगा। अच्छे घरों का समूह अच्छा समाज बनाता है, जबकि बुरे घरों का समूह बुरा समाज बनाता है।

किसी व्यक्ति के अच्छे होने का पैमाना सबसे पहले उसका घर होता है। अगर कोई व्यक्ति समाज में दूसरों के साथ मिलनसार रहे, लेकिन घर में सख़्ती से पेश आए, तो उसे अच्छा इंसान नहीं कहा जाएगा, क्योंकि एक अच्छे इंसान का असली पैमाना उसकी घर की ज़िंदगी है, न कि बाहर की।

घर के जीवन में हर किसी को कैसे रहना चाहिए? यह ऐसा होना चाहिए कि बड़ा व्यक्ति छोटे का ख़्याल रखे और छोटा व्यक्ति बड़े का सम्मान करे। पुरुष घर की महिलाओं के साथ नरमी से पेश आएँ और महिलाएँ पुरुषों के लिए कोई समस्या न खड़ी करें। घर के सभी सदस्यों का ध्यान अपनी ज़िम्मेदारियों पर हो, न कि अपने अधिकारों पर। हर कोई यह चाहे कि वह अपने हिस्से का काम करने के साथ-साथ दूसरों के काम में भी मदद करे। जब भी घर में कोई समस्या हो, तो हर कोई यह प्रयास करे कि समस्या और न बढ़े, बल्कि जल्दी से सुलझ जाए।

सफल घरेलू जीवन का रहस्य सेवा और मेल-जोल में है। घर का हर सदस्य दूसरे की सेवा करने की भावना अपने अंदर रखे और मतभेद या शिकायत के बावजूद मेल-जोल के साथ रहने के लिए तैयार रहे।

Maulana Wahiduddin Khan
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