मौत का फ़ैसला
इयान फ्लेमिंग 1908 में लन्दन में पैदा हुआ और 1964 में उसका देहांत हुआ। 1929 से 1933 तक वह मास्को में पत्रकार की हैसियत से रहा। मार्च 1933 में सोवियत रूस की हुकूमत ने पांच ब्रिटिश इंजीनियरों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। मास्को में उनके ऊपर मुकदमा चलाया गया। यह पश्चिमी पत्रकारिता के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण ख़बर थी। इस मुक़दमें की कार्रवाई लिखने के लिए यूरोप के जो अख़बारी नुमाइन्दे मास्को पहुंचे, उनमें रायटर का संवाददाता इयान फ्लेमिंग भी था। इयान फ्लेमिंग चाहता था कि वह इस फ़ैसले की ख़बर सबसे पहले यूरोप भेजे।
इस मुक़द्दमे के लिए उसने एक ख़ामोश मन्सूबा बनाया। जिस दिन मास्को के जज मुक़द्दमे का फ़ैसला देने वाले थे, उसने पूरी घटना की दो अलग-अलग रिपोर्ट तैयार कीं। एक रिपोर्ट अपराधियों के सज़ा पाने की स्थिति में और दूसरी रिपोर्ट वह जबकि उन्हें छोड़ दिया जाए।
निश्चित समय पर जैसे ही जजों ने फ़ैसले सुनाए, इयान फ्लेमिंग ने फ़ौरन अपनी रिपोर्ट की खाली जगह भरी और उसी वक़्त टेलिग्राम के ज़रिए उसको अपने यूरोप के दफ्तर के नाम रवाना कर दिया। यह उस मुक़द्दमे की पहली ख़बर थी, जो लन्दन पहुंची। इयान फ्लेमिंग को इसके बाद रायटर ने बड़ी तरक़्क़ी दे दी।
इयान फ्लेमिंग का ज़्यादा दौलत कमाने का शौक उसको उपन्यास लेखन की तरफ़ ले गया। उसने सनसनीखेज उपन्यास लिखने में ज़बरदस्त ख्याति अर्जित की। उसके तेरह उपन्यासों की लगभग दो करोड़ प्रतियां बिकीं और ग्यारह भाषाओं में उनका अनुवाद हुआ। उसका एक उपन्यास डाक्टर नो (Dr. No) एक लाख डालर में बिका। यह कहानी फिल्माई गई और इससे उसको एक लाख डालर और मिले। इयान फ्लेमिंग अब दौलत और शोहरत के आसमान पर था। पर ठीक इसी वक़्त उसके ऊपर वह वक़्त आ गया जो हर एक के ऊपर आता है। अभी वह सिर्फ़ 56 साल की उम्र को पहुंचा था कि अचानक वह 12 अगस्त 1964 को मर गया।
इयान फ्लेमिंग रूसी जज के फ़ैसले की रिपोर्ट पहले से तैयार कर सकता था, पर वह मौत के जज के फ़ैसले का पहले से अन्दाज़ा न कर सका। ठीक उस वक़्त उसे अपने आपको मौत के हवाले करना पड़ा जबकि वह सबसे ज़्यादा ज़िन्दगी का ख़्वाहिशमन्द हो चुका था।