समय समाप्त हो गया
मौत से पहले का जीवन वास्तव में परीक्षा का दौर है और मौत के बाद का
जीवन परीक्षा का परिणाम (result) निकलने का दौर।
स्कूल में विद्यार्थियों की परीक्षा हो रही थी। विद्यार्थी मेज़ पर झुके हुए अपना-अपना प्रश्न-पत्र हल कर रहे थे, यहाँ तक कि परीक्षा का निश्चित समय पूरा हो गया। तुरंत परीक्षा-कक्ष में उपस्थित ज़िम्मेदारों की ओर से घोषणा की गई — “लिखना बंद करो, समय समाप्त हो गया।”
‘Stop writing, time is over.’
यह मामला जो परीक्षा-कक्ष में घटित हुआ, वही बड़े पैमाने पर जीवन का मामला भी है। इस संसार में हर औरत और हर आदमी एक बड़े परीक्षा-कक्ष में है। यहाँ हर एक अपनी-अपनी परीक्षा दे रहा है। हर एक के लिए एक समयसीमा निश्चित है। इस समयसीमा के पूरा होते ही ईश्वर का फ़रिश्ता आता है और शांत भाषा में घोषणा करता है कि तुम्हारे कर्मों का समय समाप्त हो गया। अब तुम्हें मरना है और मरने के बाद अपने रचयिता और पालनहार के सामने जवाबदेही के लिए प्रस्तुत होना है।
शिक्षा-संबंधी परीक्षा का मामला जो हर विद्यार्थी के साथ घटता है, वह एक उदाहरण है जिससे हर औरत और हर आदमी विस्तृत अर्थों में जीवन की परीक्षा के मामले को समझ सकते हैं ।
जीवन परीक्षा की स्थिति का नाम है और मौत इसका नाम है कि आदमी को अपने कर्मों का फल पाने के लिए अगले संसार में भेज दिया जाए। मौत से पहले का जीवन वास्तव में परीक्षा का दौर है और मौत के बाद का जीवन परीक्षा का परिणाम (result) निकलने का दौर। जो व्यक्ति जाँच और परीक्षा के जीवनकाल में अच्छे-बुरे की समझ के साथ जीवन बिताएगा, वही अगले जीवनकाल में श्रेष्ठ परिणाम को पाएगा। जो लोग इस मामले में लापरवाह सिद्ध हों, उनको बाद के जीवनकाल में पछतावा और निराशा के सिवा और कुछ नहीं मिलेगा।
परीक्षा-कक्ष के अंदर एक विद्यार्थी जिस मानसिकता के साथ रहता है, उसी मानसिकता के साथ हमें अपने पूरे जीवन में रहना है। हर एक को यह प्रयास करना है कि वह ईश्वर की ओर से दिए हुए परीक्षा-पत्र को सही ढंग से हल करे, ताकि परीक्षा की समयसीमा पूरी होने के बाद जब उसका परिणाम सामने आए तो वह उसके लिए सफलता की शुभ सूचना हो, न कि असफलता की घोषणा ।