जीवन का सत्य
रचयिता की योजना के अनुसार, सही इंसान वह है, जो अपने आपको वातावरण की ‘कंडीशनिंग’ (conditioning) से बचाए।
अध्ययन बताता है कि हमारा संसार जोड़े (pairs) के सिद्धांत पर बना है। यहाँ हर चीज़ जोड़े के रूप में है— इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन, नर पौधा और मादा पौधा, नर जंतु और मादा जंतु, औरत और आदमी, इसी तरह संसार जोड़े के रूप में है, नकारात्मक संसार और सकारात्मक संसार। संसार का एक जोड़ा वह है, जो आदर्श और संपूर्ण (ideal and perfect) है। वह हर तरह की सीमितता से मुक्त है। वहाँ इंसान की सभी इच्छाएँ अपने संपूर्ण रूप में पूरी होंगी। यह आदर्श संसार केवल चुने हुए लोगों को योग्यता के आधार पर मिलेगा। योग्यता के बिना कोई उस संसार में प्रवेश पाने वाला नहीं।
वर्तमान संसार इसी योजना का आरंभिक और अस्थायी हिस्सा है। इस योजना के अंतर्गत वर्तमान संसार चुनावी मैदान (selection ground) के रूप में बनाया गया है। यहाँ जो लोग पैदा किए जाते हैं, वे इसलिए पैदा किए जाते हैं, ताकि यहाँ की परिस्थितियों में रखकर देखा जाए कि उनमें से कौन अगले आदर्श संसार में बसाए जाने योग्य है और कौन उसके योग्य नहीं। योग्य लोगों को चुनकर अगले आदर्श संसार में हमेशा के लिए बसा दिया जाएगा और शेष लोग जो इस जाँच में पूरे नहीं उतरेंगे, वे अस्वीकृत (rejected) घोषित कर दिए जाएँगे।
लोगों का यह चुनाव किस आधार पर होगा? रचयिता की सृष्टि निर्माण योजना के अनुसार (creation plan of God), उसका आधार केवल एक है, वह यह कि किसने आज़ादी (free will) का ग़लत इस्तेमाल किया और किसने उसका सही इस्तेमाल किया। मिली हुई आज़ादी का सही इस्तेमाल या ग़लत इस्तेमाल ही वह एकमात्र मापदंड है, जिसके अनुसार लोगों के हमेशा भविष्य का निर्णय किया जाएगा।
रचयिता की योजना के अनुसार, सही इंसान वह है, जो अपने आपको वातावरण की ‘कंडीशनिंग’ (conditioning) से बचाए। जो रचयिता के बताए हुए नक्शे के अनुसार जीवन व्यतीत करे, जो मौत से पहले के जीवनकाल में, मौत के बाद के जीवनकाल के अनुसार अपने आपको तैयार करे।
वर्तमान संसार में हर औरत और आदमी इसी जाँच पर है। रचयिता की योजना के अनुसार, हर औरत और आदमी का रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है। जब इतिहास की समाप्ति पर इंसान का अगला दौर शुरू होगा, उस समय इंसानों का रचयिता प्रकट होकर सामने आ जाएगा।
यह निर्णय का दिन होगा। उस समय सभी पैदा होने वाले औरत और आदमी रचयिता के सामने उपस्थित किए जाएँगे। उस समय रचयिता अपने तैयार किए हुए रिकॉर्ड के अनुसार हर एक के अनंत भविष्य का निर्णय करेगा। यह निर्णय पूरी तरह से न्याय के आधार पर होगा और फिर किसी को स्थायी स्वर्ग में बसा दिया जाएगा और किसी को नरक में डाल दिया जाएगा। परिस्थितियाँ बताती हैं कि यह आने वाला दिन बहुत निकट आ चुका है। अब अंतिम समय आ गया है, जबकि इंसान जागे और आने वाले अनंत जीवनकाल की तैयारी करे।
स्वर्ग का परिचय
लॉर्ड म्यू ने अपनी एक घटना लिखी है कि वह एक बार एक टापू पर थे। वहाँ उन्हें सूरज के छिपने का दृश्य देखने का अवसर मिला। वह लिखते हैं कि यह दृश्य इतना सुंदर था कि मैंने चाहा कि मैं उसे हमेशा देखता रहूँ—
‘I wish I could see this sunset forever.’
प्रकृति बहुत ही सुंदर है। उसे देखने से आदमी का कभी जी नहीं भरता। आदमी चाहता है कि प्रकृति को लगातार देखता रहे, लेकिन जीवन की माँगें उसे मजबूर करती हैं और उससे तृप्त हुए बिना वह उसे छोड़कर चला जाता है। प्रकृति वर्तमान संसार में स्वर्ग की प्रतिनिधि है। वह परलोक के स्वर्ग की झलक है। स्वर्ग में जो कोमलता, जो सुंदरता, जो अत्यधिक आकर्षण होगा, उसका एक दूर का निरिक्षण वर्तमान संसार में प्रकृति के रूप में होता है। प्रकृति हमें स्वर्ग की याद दिलाती है। वह हमें बताती है कि संसार में स्वर्ग वाले कर्म करो, ताकि परलोक में स्वर्ग को पा सको। संसार में आदमी स्वर्ग की झलक का भी पूरी तरह से आनंद नहीं ले सकता, लेकिन परलोक के आदर्श संसार में हर आदमी के लिए यह संभव होगा कि वह स्वर्ग का अंतिम सीमा तक आनंद ले सके।