मौत का संदेश

यह बात कोई आदमी नहीं जानता कि मौत के बाद वाले
 जीवनकाल के लिए उसको क्या तैयारी करनी चाहिए

इंडिया के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ० अब्दुल कलाम की 27 जुलाई, 2015 को मृत्यु हो गई। मृत्यु के समय उनकी आयु 83 वर्ष थी। वे नई दिल्ली से हवाई यात्रा करके शिलांग गए, ताकि वहाँ वे विज्ञान के विषय पर भाषण दे सकें। वहाँ वे अपना भाषण दे रहे थे कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा। वे मंच पर गिर पड़े। उनको तुरंत अस्पताल ले जाया गया। वहाँ डॉक्टर ने घोषणा की कि डॉ० कलाम की मृत्यु हो चुकी है।

मौत एक ऐसी घटना है, जो हर इंसान के जीवन में घटित होती है। हर इंसान के जीवन में यह पल आता है कि मौत का फ़रिश्ता अचानक उसके पास आता है और कहता है— “ऐ इंसान ! तुमको इस संसार में वर्ष ‘83’ वर्ष जीना था। यह अवधि पूरी हो चुकी। अब तुमको एक और संसार में जीवन बिताना है, जहाँ तुम हमेशा रहोगे। ‘83’ वर्ष पर तुम्हारे जीवन का एक दौर ख़त्म हो चुका और अब तुम्हारे जीवन का दूसरा दौर शुरू होता है, जो कभी ख़त्म न होगा।

हर इंसान को यह पता है कि मौत से पहले के जीवनकाल में उसको अपनी सफलता के लिए क्या करना है, लेकिन यह बात कोई आदमी नहीं जानता कि मौत के बाद वाले जीवनकाल के लिए उसको क्या तैयारी करनी चाहिए, जो वहाँ के स्थायी जीवन में उसके काम आए। यही इंसान की सबसे बड़ी समस्या है, लेकिन अजीब बात है कि यही वह समस्या है जिससे हर इंसान अनजान है। वह सांसारिक नाकामियों से बचने के लिए तो सब कुछ करता है, लेकिन परलोक की नाकामी से बचने के लिए वह कुछ नहीं करता। कभी अनजाने में और कभी जानने के बावजूद

Maulana Wahiduddin Khan
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