प्रमोशन की ख़बर
अपने आपको संसार में तौलो, इससे पहले
कि तुमको परलोक में तौला जाए।
एक साहब से मुलाक़ात हुई, उन्होंने कहा कि मेरा प्रमोशन हो गया है, अब मुझे ज़्यादा वेतन मिलेगा, रहने को बहुत बड़ा घर मिलेगा, अब मुझे बहुत बड़ी गाड़ी इस्तेमाल के लिए दी जाएगी। पहले मुझे यात्रा के लिए रेलवे का पास मिलता था, अब मुझे यात्रा के लिए हवाई जहाज़ का टिकट मिलेगा इत्यादि।
उसको सुनकर मैंने सोचा कि यही परलोक का मामला भी है। स्वर्ग के मामले द्वारा दुनिया का इसी तरह वर्णन किया जा सकता है, स्वर्ग का मामला भी मानो प्रमोशन का मामला है, जिन लोगों का रिकॉर्ड वर्तमान अस्थायी संसार में अच्छा होगा, उनको प्रमोशन करके परलोक के आदर्श संसार, स्वर्ग में भेज दिया जाएगा।
यह परिस्थिति माँग करती है कि आदमी संसार में बहुत ज़्यादा समझदारी के साथ रहे, वह अपने हर मामले को इसी दृष्टि से जाँचे कि वह स्वर्ग में जाने के लिए रुकावट है या सहायक। इस दृष्टि से जिस आदमी का मन-मस्तिष्क जागरूक हो, वह मानो स्वयं अपना चौकीदार बन जाएगा;वह अपनी सोच, अपनी बातचीत, अपना व्यवहार, यहाँ तक कि अपनी बातों और अपने कर्मों की निगरानी बराबर करता रहेगा, वह हज़रत उमर के इस कथन की मिसाल बन जाएगा— “अपने आपको संसार में तौलो, इससे पहले कि तुमको परलोक में तौला जाए।”
(कंज़ुल उम्माल : 44,203)
प्रमोशन की ख़बर की तरह दावत भी एक ख़बर है। अगर किसी आदमी को सत्य का ज्ञान हो जाए तो उसके लिए यह घटना नौकरी में प्रमोशन की ख़बर से अरबों-ख़रबों गुना ज़्यादा बड़ी घटना होगी। ऐसा आदमी यह सहन नहीं कर सकता कि वह अपनी खोज को अपने मन-मस्तिष्क में लिये रहे और उसकी घोषणा न करे। हक़ीक़त यह है कि सत्य की खोज अपने आप ही किसी आदमी को दाअी बना देती है। अगर कोई आदमी यह दावा करे कि उसने सत्य को पा लिया है, लेकिन इसके बावजूद वह दूसरों को न बताए तो यह मानो इस बात का प्रमाण है कि उसने सत्य को पाया ही नहीं।