‘ताकि उनसे मुन्किरों को जलाये’ का मतलब यह है कि वे अह्ले-बातिल जो हक़ का फ़रोग़ नहीं देखना चाहते थे, उनके लिए हक़ के फ़रोग़ का यह अज़ीम वाक़या बेपनाह मायूसी का सबब बन गया। उनकी हज़ारों साल की खुशियाँ ख़ाक में मिलकर रह गईं। उनका यह हौसला आख़िरी तौर पर ख़त्म हो गया कि वे हक़ को हमेशा मग़लूब रखेंगे और उसको कभी उभरने का मौक़ा नहीं देंगे। इस मायूसी में दोनों गिरोह यकसा तौर पर शरीक थे— बातिलपरस्त इंसान भी और इब्लीस का दुश्मने-हक़ काफ़िला भी। हक़ की यह कामयाबी दोनों के लिए ही उनके मंसूबों के ख़ात्मे के हम्माना बन गई।
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