राय की क़ुर्बानी

कोई आदमी जब एक राय क़ायम करता है तो वह समझने लगता है कि उसी की राय दुरुस्त है। ऐसा सिर्फ़ उसकी अपनी कंडीशनिंग की वजह से होता है। इसीलिए बजा तौर पर कहा गया है कि किसी आदमी के लिए सबसे बड़ी क़ुर्बानी अपनी राय की क़ुर्बानी है। इसलिए आपको अपनी राय की क़ुर्बानी देनी होगी। यह बिला शुबहा सबसे बड़ी क़ुर्बानी है। यही वह क़ुर्बानी है, जिसकी क़ीमत पर आप मुत्तहिद होकर अपना दावती फ़रीज़ा अदा कर सकते हैं।

Maulana Wahiduddin Khan
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