दावत इलल्लाह का काम

मौजूदा ज़माना दावत इलल्लाह के काम के लिए इंतिहाई हद तक मुआफ़िक ज़माना है। आज हर जगह मज़हबी आज़ादी (religious freedom) का माहौल है। कम्युनिकेशन की सहूलियतें आला दर्जे में हासिल हैं। मुअस्सिर दावती लिटरेचर छपा हुआ मौजूद है। ऐसी हालत में किसी भी शख़्स के लिए कोई उज़्र (excuse) बाक़ी नहीं रहा। कोई भी औरत या मर्द यह कहकर नहीं छूट सकता कि वह दावत का काम करने की सलाहियत नहीं रखता था, इसलिए उसने दावत का काम नहीं किया।

आज दावत का काम करने के लिए इसकी ज़रूरत नहीं है कि आप अपने कामों को छोड़कर तमाम ज़रूरी उलूम का मुताला करें और फिर अपने अंदर आला इल्मी इस्तेदाद पैदा करने के बाद दावत का काम करें। आपकी तरफ़ से यह काम किया जा चुका है। आप अपनी ज़िंदगी के नक़्शे में कोई तब्दीली किए बग़ैर दावत के काम को अपनी ज़िंदगी का जुज़ बना सकते हैं और दावत की ज़िम्मेदारियों को बख़ूबी तौर पर अदा कर सकते हैं।

सीपीएस के तहत मुख़्तलिफ़ ज़बानों में ताक़तवर लिटरेचर छापा जा चुका है। आप इस लिटरेचर को हासिल करें। उसे हर जगह अपने साथ रखें और जब भी किसी शख़्स से आपकी मुलाक़ात हो तो आप उसे यह कहकर पेश कर दें—

“जनाब ! यह आपके लिए एक रूहानी तोहफ़ा है।”

Sir, this is a spiritual gift for you.

आप इस लिटरेचर को अपने ऑफ़िस में, अपनी दुकान में और अपने इदारे में नुमायाँ मुक़ाम पर रख दें। आने वाले लोग ख़ुद ही इसे ले लेंगे और शौक़ से इसका मुताला करेंगे। यह ज़माने का तक़ाज़ा है और हमें चाहिए कि हम इस तक़ाज़े को दावत इलल्लाह के काम के लिए भरपूर तौर पर इस्तेमाल करें।

Maulana Wahiduddin Khan
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