कुछ युवा मुसलमान बैठे आपस में बातें कर रहे थे। हर कोई माहौल की शिकायत कर रहा था। दाख़िले नहीं मिलते, नौकरी नहीं मिलती। सभा में एक वृद्ध अनुभवी व्यक्ति भी बैठा था। वह चुपचाप सबकी बातें सुन रहा था। अंत में उसने कहा, “आप लोगों की शिकायतें बिलकुल निराधार हैं। आप वहाँ जगह की तलाश में हैं, जहाँ जगहें भरी हुई हैं और जहाँ जगह ख़ाली है, वहाँ पहुँचने की कोशिश नहीं करते। आप लोग उच्च योग्यता पैदा कीजिए। फिर आपके लिए निराशा का कोई सवाल ही नहीं रहेगा, क्योंकि सामान्य जगह भरी हुई हैं, लेकिन ऊपर की जगह हर तरफ़ ख़ाली है।”
विशिष्टता (excellence) सफलता का रहस्य है। आप छात्र हों या व्यवसायी, आप वकील हों या डॉक्टर, आप किसी भी क्षेत्र में हों, अपने अंदर विशिष्टता पैदा कीजिए और आप निश्चित रूप से सफल होंगे। अगर आप चूहा पकड़ने का एक अच्छा पिंजरा ही बनाना जानते हैं, तो लोग आकर आपके दरवाज़े पर दस्तक देंगे। लोगों की ग़लती यह है कि वे बाज़ार में उपलब्ध ‘पिंजरे’ जैसा ही एक और ‘पिंजरा’ बनाकर बाज़ार में बैठ जाते हैं और फिर शिकायत करते हैं कि हमारा पिंजरा नहीं बिकता। अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं और एक अच्छा पिंजरा बनाने के लिए अपने दिमाग़ का उपयोग करते हैं, तो निश्चित रूप से लोग इसे ख़रीदने के लिए टूट पड़ेंगे।
हर समाज में हमेशा पक्षपाती और तंग नज़रिया होता है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक है, लेकिन इसके प्रभाव की एक सीमा होती है। अगर आप इस सीमा को पार कर गए, तो इसका प्रभाव मौजूद होते हुए भी आपका कुछ नुक़सान नहीं होगा। अगर आपके मार्क्स 45 प्रतिशत हैं और आपके प्रतिद्वंद्वी के 40 प्रतिशत हैं, तो यह बहुत संभव है कि पक्षपात आपके रास्ते में आ जाएगा और आपको स्वीकार नहीं किया जाएगा, लेकिन अगर ऐसा हो कि प्रतिद्वंद्वी के मार्क्स 40 प्रतिशत हों और आपके मार्क्स 80 प्रतिशत हों, तो इस पक्षपाती और तंग नज़रिए की सारी दीवारें गिर जाएँगी और आप निश्चित ही अपने प्रतिद्वंद्वी के मुक़ाबले में सफल होंगे।
सामान्य पद तो भरे हुए हैं, लेकिन सर्वोच्च पद ख़ाली है। फिर आप उस ख़ाली जगह तक पहुँचने की कोशिश क्यों नहीं करते, जो अभी भी आपका इंतज़ार कर रहे हैं। अगर आप दूसरों से ज़्यादा मेहनत करते हैं, अगर आप सामान्य से ज़्यादा क़ाबिलियत रखतें हैं, अगर आप ज़्यादा क्षमता के साथ जीवन के क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, तो आपके बेजगह होने या बेरोज़गार होने का कोई सवाल ही नहीं है। हर जगह आपकी जगह है, क्योंकि अब तक वह किसी आने वाले के आने के इंतज़ार में ख़ाली पड़ी है।