भूमिका
यह एक बड़ी वास्तविकता है कि किसी भी प्रयोगशाला में ज़िंदा इंसान नहीं बनाया जा सकता है। हालाँकि शरीर का चित्रण किया जा सकता है। यह तो पता चल चुका है कि जीवित शरीर के अंग बिल्कुल साधारण प्रकार के परमाणु होते हैं। उसमें कार्बन वही है, जो हम कालिख में देखते हैं। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन वही है, जो पानी का मूल रूप है। नाइट्रोजन वही है, जिससे वायुमंडल का अधिकतर भाग बना है। इसी प्रकार अन्य चीज़ें हैं, लेकिन क्या एक ज़िंदा इंसान एटमों का एक विशेष समूह है, जो किसी असाधारण ढंग से आयोजित कर दिया गया है या इसके अलावा कुछ और है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि हम यह जानते हैं कि इंसान का शरीर अमुक भौतिक तत्वों से मिलकर बना है, लेकिन भौतिक तत्वों को एकत्र करके हम जीवन उत्पन्न नहीं कर सकते। दूसरे शब्दों में कहें तो एक ज़िंदा इंसान का शरीर केवल निर्जीव एटमों का समूह नहीं है, बल्कि वह एटम और जीवन दोनों है। मरने के बाद परमाणुओं का समूह तो हमारे सामने उपस्थित रहता है, जबकि जीवन उससे निकलकर दूसरी संसार में चला जाता है।
मौलाना वहीदुद्दीन ख़ान