क़यामत का भूकंप

क़ुरआन में जिस क़यामत की भविष्यवाणी की गई थी, वह अब बिल्कुल निकट प्रतीत होती है। क़ुरआन की सूरह नंबर 99 में यह सूचना दी गई थी कि वह समय आने वाला है, जब धरती एक भयानक भूकंप के द्वारा हिला दी जाएगी—

إِذَا زُلْزِلَتِ الْأَرْضُ زِلْزَالَهَا

"जब धरती को ज़ोरदार भूकंप से हिला दिया जाएगा।" (99:1)

वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग से संबंधित निरंतर खबरें आ रही हैं, जो क़ुरआन की इस भविष्यवाणी (prediction) की पुष्टि करने वाली हैं। नेशनल ज्योग्राफिक न्यूज़ (National Geographic News) के हवाले से एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसे नई दिल्ली के अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया (16 मार्च 2008) ने निम्नलिखित शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित किया:

"Melting ice sheets can trigger massive earthquakes."

इस रिपोर्ट के अनुसार, एक नए अध्ययन से पता चला है कि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों (North & South Poles) में विशाल बर्फीले पहाड़ (ice sheets) अत्यंत तेज़ी से पिघल रहे हैं, और इसके परिणामस्वरूप समुद्रों के जलस्तर में ख़तरनाक वृद्धि हो रही है। इस प्रक्रिया के कारण जो संचित ऊर्जा (pent-up energy) बाहर निकलेगी, उससे धरती पर भयावह भूकंप आएंगे:

"A new study has indicated that melting ice sheets can release pent-up energy and trigger massive earthquakes. According to a report in National Geographic News, as a result of global warming, ice sheets are melting worldwide, which is triggering off earthquakes. For the study, the researchers had taken into account a series of large earthquakes that had shook Scandinavia around 10,000 years ago, along faults that are now quiet." (p. 24)

ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से पृथ्वी के हिमखंड (glaciers) बहुत तेज़ी से पिघल रहे हैं, जिससे विनाशकारी भूकंप आ सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप धरती पर भूकंपों की एक शृंखला शुरू हो जाएगी, जैसा कि स्कैंडिनेविया (Scandinavia) क्षेत्र में 10,000 वर्ष पहले हुआ था।

ग्लोबल वार्मिंग और उसके विभिन्न पहलुओं पर व्यापक अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर पहाड़ों के समान विशाल हिमखंड (glaciers) हैं। इन हिमखंडों के नीचे बड़े-बड़े ज्वालामुखी (volcanoes) दबे हुए हैं। ये ज्वालामुखी अपने भीतर भारी मात्रा में संचित ऊर्जा (pent-up energy) रखते हैं। इन पर जमी बर्फ एक प्राकृतिक ढक्कन की तरह थी, जो इस ज्वालामुखी को फटने से रोक रही थी।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के ये बर्फीले ढक्कन बहुत तेज़ी से पिघल रहे हैं। उनकी बर्फ पिघलकर समुद्रों में मिल रही है। इस स्थिति से यह गंभीर ख़तरा उत्पन्न हो गया है कि जब ये बर्फीले ढक्कन पूरी तरह से पिघल जाएंगे, तो उनके नीचे छिपे ज्वालामुखी फटकर आग और लावा के रूप में बाहर आ जाएंगे।

यह स्थिति पृथ्वी पर हर प्रकार के जीवन के लिए एक गंभीर ख़तरा होगी। कोई भी मानव प्रयास इस तबाही को रोकने में सक्षम नहीं होगा। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसका प्रभाव पूरी मानवता तक पहुंचेगा।

स्थिति यह दर्शा रही है कि बहुत जल्द वह समय आने वाला है, जब यह वर्तमान संसार समाप्त हो जाएगा और एक नया संसार अस्तित्व में आएगा, जहां अल्लाह का न्याय (Divine Justice) स्थापित होगा। वहां अच्छे लोगों को स्वर्ग (जन्नत) में प्रवेश मिलेगा और बुरे लोगों को नरक (जहन्नम) की यातनाओं में डाल दिया जाएगा।

अब अंतिम समय आ चुका है कि प्रत्येक जीवित पुरुष और महिला आने वाले न्याय के दिन (Day of Judgement) के लिए तैयारी कर लें, जो निश्चित रूप से आएगा और आने के बाद फिर लौटने वाला नहीं।

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