By
Maulana Wahiduddin Khan
स्रोत: जन्नत इंसान की मंज़िल

इंसान को क़ुरआन में ‘मुकर्रम मख़्लूक़’ (17:70) कहा गया है। इंसान पैदा होता है, फिर वह बचपन, नौजवानी, जवानी और बुढ़ापे के मराहिल से गुज़रता है। आख़िरकार वह मर जाता है। इस दुनिया में मौत हर आदमी का आख़िरी मुक़द्दर है। आदमी दुनिया की ज़िंदगी में बहुत कुछ हासिल करता है, मगर आख़िरी अंजाम हर एक का सिर्फ़ एक है। जैसा कि क़ुरआन में है—

وَلَقَدْ جِئْتُمُونَا فُرَادَى كَمَا خَلَقْنَاكُمْ أَوَّلَ مَرَّةٍ وَتَرَكْتُمْ مَا خَوَّلْنَاكُمْ وَرَاءَ ظُهُورِكُمْ

“तुम हमारे पास अकेले अकेले आ गए, जैसा कि हमने तुम्हें पहली मर्तबा पैदा किया था और जो कुछ अस्बाब हमने तुम्हें दिया था, वह सब कुछ तुम पीछे छोड़ आए।” (6:94)

अब सवाल यह है कि इंसान का अंजाम क्या है? मौत के बाद इंसान के साथ क्या पेश आता है?

जहाँ तक मैं समझता हूँ, इंसान को एक काम करना है। वह यह कि अपने ज़मीर (conscience) को बचाकर रखे। ज़मीर के बारे में क़ुरआन में आया है—

“फिर उसे समझ दी, उसकी बदी की और उसकी नेकी की ।” (91:8)

इसका मतलब यह है कि इंसान को हक़ीक़त का इल्म पैदाइशी तौर पर दिया गया है। हक़ीक़त का इल्म उसके अंदर गहराई के साथ मौजूद है। यह इतना ज़्यादा ताक़तवर अंदाज़ में है कि कोई इंसान इससे इनकार नहीं कर सकता, मगर इससे वही फ़ायदा उठा सकता है, जो अपने ज़मीर को हर हाल में ज़िंदा रखे। ऐसी हालत में इंसान के लिए करने का एक काम यह है कि वह अपने ज़मीर को मुर्दा न होने दे, ताकि वह अपने ज़मीर की तरफ़ रुजू करे।

इंसान को हक़ीक़त का इल्म पैदाइशी तौर पर दिया गया है। हक़ीक़त का इल्म उसके अंदर गहराई के साथ मौजूद है। यह इतना ज़्यादा ताक़तवर अंदाज़ में है कि कोई इंसान इससे इनकार नहीं कर सकता, मगर इससे वही फ़ायदा उठा सकता है, जो अपने ज़मीर को हर हाल में ज़िंदा रखे।

अगर इंसान अपने ज़मीर को लेकर सोचेगा, तो वह कभी रास्ते से भटक नहीं सकता। ज़मीर उसके लिए ऐसा गाइड बन जाएगा, जो हर हाल में उसे मंज़िल तक पहुँचाए। इसका तरीक़ा यह है कि जब ज़मीर किसी बात पर टोके, तो वह फ़ौरन उसकी आवाज़ को सुने। जब तक आदमी ऐसा करेगा, उसका ज़मीर ज़िंदा रहेगा। इसके बरअक्स जब ऐसा किया जाए कि ज़मीर के टोकने की परवाह न की जाए, तो धीरे-धीरे ज़मीर बे-हिस हो जाएगा। इसी को कहते हैं ज़मीर का मुर्दा हो जाना।

इंसान को हक़ीक़त का इल्म पैदाइशी तौर पर दिया गया है। हक़ीक़त का इल्म उसके अंदर गहराई के साथ मौजूद है। यह इतना ज़्यादा ताक़तवर अंदाज़ में है कि कोई इंसान इससे इनकार नहीं कर सकता, मगर इससे वही फ़ायदा उठा सकता है, जो अपने ज़मीर को हर हाल में ज़िंदा रखे।

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QURANIC VERSES17:706:9491:8
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