By
Maulana Wahiduddin Khan

Soulveda | March 07, 2023

अगर आप किसी प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थान पर जाएं, जहां पहाड़ हों, बहती नदियां हों, ऊंचे और हरे-भरे पेड़ हों, उड़ते पक्षी हों, आकाश में तैरते छोटे-छोटे सफेद बादल हों, सूरज चमक रहा हो इत्यादि। ऐसी जगह पर आपका मन करेगा कि आप कहें; “प्रकृति कितनी अद्भुत है!” लेकिन प्रकृति सिर्फ एक अद्भुत दुनिया नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिकता का एक अद्भुत बगीचा है। दरअसल, प्रकृति की हर चीज़ आपको आध्यात्मिकता का स्वाद देती है। उदाहरण के लिए, जब आप किसी मधुमक्खी को फूल पर मंडराते हुए देखते हैं, तो आपको अचानक एहसास होता है कि उसके पास देने के लिए एक सबक है, क्योंकि प्रकृति का हर अंग आपके लिए एक फूल की तरह है। प्रत्येक भाग में अध्यात्म का अमृत वास करता है। इस आध्यात्मिक अमृत को बाहर निकालें और तब आप खुद को एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व में बदलने में सफल रहेंगे।

यह ध्यान में रखिए कि आध्यात्मिकता परमानंद (ecstasy) की स्थिति नहीं है, बल्कि परमानंद एक मदहोशी या ट्रांस जैसी अवस्था है। यह एक तरह की नींद है, जो चेतन मन में धुंधलापन पैदा कर देती है, लेकिन आध्यात्मिकता इससे बहुत अलग है। यह उच्च स्तर का बौद्धिक विकास है। यह मदहोशी की बजाय बौद्धिक जागृति का एक रूप है।

पूर्व वैज्ञानिक युग के दौरान यह धारणा प्रचलित हो गई थी कि हृदय आध्यात्मिकता का केंद्र था। ऐसा मानते हुए आध्यात्मिकता को ध्यान का विषय बना दिया गया यानी हृदय आधारित आध्यात्मिकता। चूंकि दिल में सोचने की क्षमता नहीं है, इसलिए अध्यात्म एक उच्च स्तर का अनुशासन नहीं बन सका। यह निम्न स्तर की अपरिभाषित धारणाओं और मान्यताओं तक सीमित होकर रह गया।

अब जब हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं, तो आध्यात्मिकता को सोच पर आधारित अनुशासन के दायरे में रखना संभव है। यह अन्य विज्ञानों की तरह ही एक विज्ञान है, इसलिए अध्यात्म को ध्यान से नहीं, बल्कि चिंतन से जोड़ा जाना चाहिए। चूंकि भौतिक विज्ञान (physical sciences) के क्षेत्र में प्रकृति के परिमाणात्मक (quantitative) पहलुओं की खोज शामिल है, इसलिए इसकी खोज भौतिक प्रकृति की है। दूसरी ओर आध्यात्मिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रकृति के गुणात्मक (qualitative) पहलुओं के चिंतन को शामिल किया गया है, ताकि इसके दायरे में आध्यात्मिक प्रकृति की चीज़ें ऐसे निकलें, जैसे मधुमक्खी फूलों से शहद निकालती है।

मधुमक्खी के लिए सबसे बड़ी चीज़ फूल होते हैं। मधुमक्खी के लिए उसकी पूरी दुनिया फूलों की दुनिया होती है। यह कभी भी अपना समय दूसरी चीज़ों पर बर्बाद नहीं करती। इसका पूरा ध्यान फूलों पर केंद्रित होता है। यह उनसे अमृत लेती है और अपने छत्ते में लौट आती है। जाग्रत मन का भी यही हाल होता है। एक जाग्रत मन के लिए पूरी दुनिया आध्यात्मिक दुनिया है। यह हर चीज़ से आध्यात्मिक सामग्री प्राप्त करता है। जाग्रत व्यक्ति इस प्रकार अपनी आध्यात्मिकता को तब तक बढ़ाता है, जब तक वह एक विशाल आध्यात्मिक काया नहीं बन जाता।

आध्यात्मिक विज्ञान चित्त को विकसित करके इंसान को बेहतर तरीके से मामलों को समझने में सक्षम बनाता है। यह जटिल मुद्दों के संबंध में सही निर्णय लेने में सहायता करता है। यह चीज़ों को इस तरह देखने में मदद करता है, जिससे दिल-ओ-दिमाग पर से कंफ्यूज़न का कोहरा छंट जाता है और वह पूरी स्पष्टता से सोच सकता है। अगर हृदय पर आधारित आध्यात्मिकता विचारहीन मदहोशी थी, तो मन पर आधारित आध्यात्मिकता ऊंची सोच के अनुशासन के रूप में उभरी है।

आध्यात्मिक विज्ञान का विकास सौर मंडल के विज्ञान की तरह ही हुआ है। आरंभिक शताब्दियों में इंसान ने भू-केंद्रीय सिद्धांत (geocentric) को मान्यता दी थी। फलस्वरूप इस विज्ञान में कोई विकास संभव नहीं हो सका। हालांकि आधुनिक समय में सूर्य-केंद्रित सिद्धांत (heliocentric) तैयार करने के लिए इंसान की सोच में पर्याप्त बदलाव आया, जिसके परिणामस्वरूप सौर विज्ञान एक विकसित अनुशासन बन गया। सोच में यही परिवर्तन आध्यात्मिक विज्ञान के मामले में भी हुआ। पूर्व-वैज्ञानिक काल में लोग ह्रदय-आधारित आध्यात्मिकता में विश्वास करते थे, इसलिए मन पर आधारित आध्यात्मिकता को बढ़ावा न मिल सका। आधुनिक वैज्ञानिक युग सोच पर आधारित आध्यात्मिक युग होने के कारण आध्यात्मिक उन्नति की अनंत संभावना खुल गई है।

हमारी दुनिया सभी अच्छी चीज़ों से पूर्ण किसी बगीचे की तरह है और आध्यात्मिकता व्यक्ति को इस बगीचे में रहने तथा उससे लाभ उठाने में सक्षम बनाती है।

Category/Sub category

Share icon

Subscribe

CPS shares spiritual wisdom to connect people to their Creator to learn the art of life management and rationally find answers to questions pertaining to life and its purpose. Subscribe to our newsletters.

Stay informed - subscribe to our newsletter.
The subscriber's email address.

leafDaily Dose of Wisdom