स्रोत: सफ़ल जीवन के सिद्धान्तिक नियम
क़ुरआन में बताया गया है— “इस संसार की व्यवस्था फ़ायदा पहुँचाने के नियम पर स्थापित है” (13:17) यानी जो आदमी दूसरों को फ़ायदा पहुँचाएगा, उसे दूसरे से फ़ायदा मिलेगा। जितना देना, उतना पाना। इस नियम के अनुसार जब भी किसी को वंचित होने का अनुभव हो तो उसे यह मान लेना चाहिए कि ऐसा इसलिए हुआ है कि वह अपने आपको फ़ायदा पहुँचाने वाला साबित न कर सका। उसने दूसरों को वंचित रखा था, इसलिए दूसरों ने भी उसे वंचित कर दिया। अगर वह दूसरों को देता तो ज़रूर वह भी दूसरों से पाता।
जो आदमी दूसरों को फ़ायदा पहुँचाएगा, उसे दूसरे से फ़ायदा मिलेगा। जितना देना, उतना पाना।
फ़ायदा पहुँचाने के इस नियम का संबंध ज़िंदगी के पूरे मामले से है। इसका संबंध ख़ानदान से भी है और समाज से भी। राष्ट्रीय जीवन से भी है और अंतर्राष्ट्रीय जीवन से भी। हर व्यक्तिगत और सामूहिक मामले में यही नियम काम करता है। इसके अनुसार शिकायत और विरोध (complain and protest) का तरीक़ा बिल्कुल बेमायना है। इस संसार में हर शिकायत और विरोध ख़ुद अपनी ग़लती के ख़िलाफ़ शिकायत और विरोध है। आदमी को चाहिए कि वह शिकायत और विरोध में समय नष्ट न करे, बल्कि पहली फ़ुरसत में अपनी ग़लती को दूर करने की कोशिश करे। वह अपने आपको दूसरों के लिए फ़ायदा पहुँचाने वाला बनाए। यही समस्या का सिर्फ़ एक हल है।