Soulveda | January 30, 2024
जब आप एक सच्चे इंसान होते हैं, तो आप अपनी अंतरात्मा या नैतिक मानदंडों के ख़िलाफ़ जाने को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं, आपको आध्यात्मिक आचरण की रूपरेखा का पालन करना होता है। हर्बर्ट आर्मस्ट्रांग (1892-1986) प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका; द प्लेन ट्रूथ के संस्थापक थे, जिन्होंने अपने अंतिम लेखों में से एक लेख में लिखा कि अपने लंबे व्यावसायिक जीवन के दौरान उन्हें विभिन्न संप्रदायों के सैकड़ों–हज़ारों लोगों से मिलने का अवसर मिला, लेकिन उन्होंने कहा कि अगर उनसे पूछा जाए कि इंसानों में ऐसा कौन–सा गुण है, जो रेडियम और प्लेटिनम से भी दुर्लभ (scarce) है, यहाँ तक कि बहुत दुर्लभ है, तो वे निश्चित रूप से कहेंगे कि यह ईमानदारी है।
ईमानदारी सबसे महान इंसानी गुण है, लेकिन बहुत कम लोग इस उच्च आदर्श पर खरे उतरते हैं। इस दुनिया में दो अलग–अलग प्रकार के इंसानी व्यवहार हैं— ईमानदारी (sincerity) और निष्ठाहीनता (insincerity)। ईमानदारी व्यावहारिक सिद्धांतों के पालन का परिणाम है, जबकि निष्ठाहीनता व्यावहारिक सिद्धांत की कमी को दर्शाता है। सिद्धांतहीन व्यवहार में शामिल होना बहुत आसान है। जब कोई स्थिति या परिस्थिति आती है, तो इसे ज़्यादा विचार करने की आवश्यकता नहीं होती है। अपने दिमाग़ को इस्तेमाल किए बिना आप स्थिति के अनुसार बने रास्ते पर चल सकते हैं। आप आसानी से समझ सकते हैं कि आपके हित में क्या है और ख़िलाफ़ क्या है। इसलिए स्थिति के अनुसार निर्देशों का पालन करने में आपको मार्गदर्शन करने के लिए किसी आदर्श मानदंड की आवश्यकता नहीं है। इस तरह का व्यवहार बहते पानी की तरह है, जिसके मार्ग को पृथ्वी की सतह निर्धारित करती है। इसलिए निष्ठाहीन इंसान किसी भी स्थिति की माँगों को मानने के लिए हमेशा तैयार रहता है। आसान शब्दों में, ईमानदारी एक आसान विकल्प नहीं है। जब आप एक ईमानदार व्यक्ति होते हैं, तो आप अपनी आत्मा या नैतिक मानदंडों के ख़िलाफ़ नहीं जा सकते हैं, बल्कि आपको आध्यात्मिक आचरण का पालन करना होता है। यही अंतर है, जो इन दोनों विकल्पों में से एक को मुश्किल विकल्प और दूसरे को एक बहुत आसान विकल्प बनाता है। ईमानदारी हमेशा आपको सोचने पर मजबूर करती है, सही रास्ते का चयन करने के लिए प्रेरित करती है, भले ही यह आपकी इच्छाओं के विपरीत हो।
सामाजिक ज़िंदगी की आवश्यकताओं के लिए सैद्धांतिक व्यवहार बहुत ज़रूरी है। इससे आपके व्यवहार का पूर्वानुमान (predictable) लगाया जा सकता है। दूसरी तरफ़ निष्ठाहीनता इंसान को अप्रत्याशित (unpredictable) बनाती है। भविष्य में आप किस प्रकार के रवैये को अपनाने वाले हैं, इसे समझना बहुत मुश्किल हो जाता है। सिद्धांतपूर्ण व्यवहार आपको एक सच्चा इंसान बनाता है, जबकि निष्ठाहीन व्यवहार आपको एक अप्रत्याशित चरित्र वाला इंसान बनाता है, जो कि हैवानियत तक जा सकता है। सिद्धांतहीन व्यवहार आपको कुछ लाभ दे सकता है, लेकिन यह केवल अस्थायी लाभ होता है। स्थायी लाभ केवल सैद्धांतिक व्यवहार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। ईमानदारी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू यह है कि ईमानदार लोग दिव्य प्रेरणा प्राप्त करने में सक्षम होते हैं। ईमानदारी आध्यात्मिकता को विकसित करती है, जबकि गंभीरता की कमी किसी के भी व्यक्तित्व को बरबाद कर देती है। निष्ठाहीन व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करने में विफल रहता है। आध्यात्मिक व्यक्ति का दूसरा नाम ईमानदार व्यक्ति है। इसके अलावा ईमानदारी आपको एक आत्म–अनुशासित (self-disciplined) व्यक्ति बनाती है। सिद्धांतहीन व्यवहार एक तरह की मनोवैज्ञानिक आत्महत्या है। जो सिद्धांतहीन मार्ग का विकल्प चुनता है, वह पहले अपने ज़मीर को मारता है, क्योंकि अपने ज़मीर को दबाए बिना आप अपने व्यवहार में बेईमान नहीं हो सकते। ज़मीर हर किसी के चुने हुए कार्य में एक नैतिक चौकीदार का काम करता है। यह प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे अच्छा उपहार है। जो अपने ज़मीर के ख़िलाफ़ जाता है, वह आत्म– विनाशकारी (self-destructive) विकल्प को चुनता है। व्यक्ति को अपने मन की आवाज़ सुनकर अपने ज़मीर को जीवित रखना चाहिए। मन की आवाज़ ज़मीर की आवाज़ होती है। अपने ज़मीर के ख़िलाफ़ जाना आसान नहीं होता। यह तनाव को बढ़ाता है। अगर आप तनावमुक्त रहना चाहते हैं, तो अपने ज़मीर की आवाज़ को सुनें और बिना हिचकिचाहट उसका पालन करें। ईमानदारी ऐसा गुण है, जो सभी अच्छे मानवीय मूल्यों को जोड़ती है। जहाँ ईमानदारी होती है, वहाँ सभी प्रकार की नैतिक सुंदरता पाई जाती है। इसके विपरीत गंभीरता की कमी आपके व्यक्तित्व से सभी प्रकार की नैतिक ख़ूबसूरती को धो देती है।