By
Maulana Wahiduddin Khan

Soulveda | December 23, 2023

अर्थों का संसार ईश्वर के दर्शनों का संसार है। कौन है, जो ईश्वर के दर्शनों का इंसानी भाषा में वर्णन कर सके? वास्तविकता यह है कि जहाँ शब्‍द समाप्त हो जाते हैं, वहाँ से अर्थों का आरंभ होता है। जब हम किसी अर्थ का वर्णन करते हैं तो हम उसका वर्णन नहीं करते, बल्कि उसे कुछ घटा देते हैं, उस पर एक प्रकार का शाब्दिक पर्दा डाल देते हैं।

किसी अर्थपूर्ण वास्तविकता को कोई आदमी केवल उसके शब्‍दों से नहीं समझ सकता। एक अंधा आदमी किसी के बताने से यह नहीं जान सकता कि फूल क्‍या है, चाहे उसने फूल की पहचान के लिए इंसानी भाषा के सभी शब्‍द एकत्र कर दिए हों। इसी प्रकार एक आदमी जिसने मौलिक वास्तविकता को देखने की योग्‍यता अपने अंदर नहीं जगाई हो, वह मौलिक वास्तविकता से अवगत नहीं हो सकता, चाहे शब्‍दकोश के सारे शब्‍द उसके सामने दोहरा दिए जाएँ, चाहे अर्थों के शब्‍दकोश की सारी जिल्‍दों को उसे पढ़ा दिया जाए।

ईश्ववरीय मार्गदर्शन हर इंसान की प्रकृति की आवाज़ है, लेकिन यह उसी को मिलता है, जो अपने अंदर उसकी सच्ची इच्छा रखता हो, सच्‍चाई जिसकी आवश्यकता बन गई हो। जो सच्‍चाई को पाने के लिए इतना व्याकुल हो कि वह उसी की याद लेकर सोता हो और उसी की याद लेकर जागता हो। जो इंसान इस प्रकार सच्‍चाई का इच्‍छुक बन जाए, वही सच्‍चाई को पाता है।

ऐसा आदमी जैसे ईश्ववरीय मार्गदर्शन का आधा रास्‍ता तय कर चुका है। वह अपने अंदर छुपे हुए ‘अह्दे-अलस्‍त की ईश्वरीय आवाज़ को सुन रहा है। वह अपने अंदर प्राकृतिक गुण को जाग्रत कर चुका है, जो अर्थों की भाषा को समझता हो। ऐसा आदमी अवास्‍तविक संसार से अरुचि के कारण वास्‍तविक संसार के इतने निकट आ जाता है कि वह फ़रिश्तों (Angels) की कानाफूसी को सुनने लगता है।

पैग़ंबर इस सत्य की खोज की राह में इंसान का मददगार है। पैग़ंबर के द्वारा सत्‍य का ज्ञान मिलने से पहले सारे अनुभव अंदर-ही-अंदर अस्पष्ट और अज्ञात शैली में होते हैं। इसके बाद जब पैग़ंबर की आवाज़़ उसके अंदर प्रवेश करती है तो वह इस प्रकृति की पुस्‍तक की व्याख्‍या बन जाती है। वह अपने अंदर छुपे हुए उच्चारित संकेतों को उच्चारित भाषा में पा लेता है— क़ुरआन और क़ुरआन को पढ़ने वाला, दोनों एक-दूसरे की प्रतिकृति बन जाते हैं। क़ुरआन उसको जानता है और वह क़ुरआन को।

वचन : समय की शुरुआत में ईश्वर ने सभी आत्माओं को निर्मित किया और एकत्र करके पूछा था कि क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूँ? तब सभी आत्माओं ने गवाही दी थी कि बेशक, तू ही हमारा रब है।

ईशदूत; ईश्वर द्वारा नियुक्त व्यक्ति, जिसने ईश्वर का संदेश लोगों तक पहुँचाया।

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