By
Maulana Wahiduddin Khan

Soulveda

हज़रत मुहम्मद ने कहा है “जो चुप रहा, उसने मुक्ति पाई।” इस कथन से यह पता चलता है कि जिस तरह बोलना एक काम है, उसी तरह चुप रहना भी एक काम है। जिस तरह एक्‍शन लेना एक काम है, उसी तरह एक्शन न लेना भी एक काम है। जिस तरह आगे बढ़ना एक काम है, उसी तरह पीछे हटना भी एक काम है। जिस तरह शक्ति की स्थिति में फायदा है, उसी तरह शालीनता की स्थिति में भी फायदा है। चुप रहना केवल न बोलने का नाम नहीं। चुप रहना एक उपाय है। चुप रहना शांत योजनाबंदी का दूसरा नाम है और यह एक हकीकत है कि शोर की राजनीति की तुलना में चुप की राजनीति ज्यादा परिणाम देने वाली है।

चुप रहने के बहुत सारे फायदे हैं। जब आदमी चुप रहता है, तो वह सोचता है। जब आदमी चुप रहता है, तो वह दूसरों से सीखता है। जब आदमी चुप रहता है, तो वह अपनी अंदरूनी ताकतों को जगाता है। बेशक यह ज़रूरी है कि आदमी बोले, लेकिन इसी के साथ ज़रूरी है कि वह चुप रहने की अक्लमंदी को जाने। कभी बात को बिगड़ने से बचाने के लिए केवल इतना काफी होता है कि आदमी चुप हो जाए। चुप रहना अनदेखी करने की एक निशानी है और यह एक हकीकत है कि अनदेखी करना एक बहुत समझदारी वाला काम है।

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