By
Maulana Wahiduddin Khan

स्रोत: शांति की ओर

जिहाद क्या है? इसे समझने के लिए सबसे पहले यह जानना चाहिए कि मौजूदा ज़माने में मुसलमान जिहाद के नाम पर जो कुछ कर रहे हैं, वह जिहाद नहीं है। यह सब क़ौमी भावनाओं के अंतर्गत छेड़ी हुई लड़ाइयाँ हैं, जिन्हें ग़लत तरीक़े से जिहाद का नाम दिया गया है।

जिहाद मूलतः शांतिपूर्ण संघर्ष का नाम है, यह जंग के अर्थ के समान नहीं। कभी विस्तृत अर्थों में जिहाद जंग के भावार्थ में बोला जाता है, मगर शाब्दिक भावार्थ के ऐतबार से जिहाद और जंग दोनों समानार्थ शब्द नहीं।

जिहाद मूलतः शांतिपूर्ण संघर्ष का नाम है, यह जंग के अर्थ के समान नहीं। कभी विस्तृत अर्थों में जिहाद जंग के भावार्थ में बोला जाता है, मगर शाब्दिक भावार्थ के ऐतबार से जिहाद और जंग दोनों समानार्थ शब्द नहीं। यहाँ इस सिलसिले में क़ुरआन व हदीस से ‘जिहाद’ के कुछ प्रयोग दर्ज किए जाते हैं—

1. क़ुरआन में कहा गया है कि जिन लोगों ने जिहाद किया हमारी ख़ातिर तो हम उन्हें अपनी राहें दिखाएँगे (29:69)। इस आयत में सत्य की खोज को जिहाद कहा गया है अर्थात ईश्वर को पाने के लिए प्रयास करना, ईश्वर का बोध (Realization of God) प्राप्त करने के लिए प्रयास करना, ईश्वर की निकटता हासिल करने के लिए प्रयास करना। ज़ाहिर है कि इस जिहाद का जंग या टकराव से कोई संबंध नहीं।

2. इसी प्रकार क़ुरआन में कहा गया है कि वह लोग जिन्होंने अपने माल से जिहाद किया (49:15) यानी वह लोग जिन्होंने अपने माल को ईश्वर के रास्ते में ख़र्च किया। इस आयत के अनुसार, अपने माल को ईश्वर के रास्ते में ख़र्च करना भी एक जिहाद है।

3. इसी प्रकार क़ुरआन में कहा गया है कि ग़ैर-मुस्लिमों के साथ क़ुरआन के द्वारा बड़ा जिहाद करो। दूसरे शब्दों में यह कि क़ुरआन की शिक्षाओं को फैलाने के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष करो।

4. इस प्रकार पैग़ंबर-ए-इस्लाम ने फ़रमाया कि मुजाहिद वह है, जो ईश्वर के आज्ञापालन में अपने नफ़्स से जिहाद करे (मुसनद अहमद, हदीस नं० 23,958)। इससे मालूम हुआ कि मन के प्रलोभनों से लड़कर अपने आपको सच्चाई के रास्ते पर क़ायम रखना भी एक जिहाद है। ज़ाहिर है यह लड़ाई आंतरिक रूप से मानसिकता के मैदान में होती है, न कि बाहर किसी जंग के मैदान में।

5. एक हदीस के अनुसार, पैग़ंबर-ए-इस्लाम ने फ़रमाया कि हज जिहाद है। (इब्ने माजह, किताबुल मनासिक)। इससे मालूम हुआ कि हज का काम एक मुजाहिदाना काम है। हज को ठीक तरीक़े से करने के लिए आदमी को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है।

6. एक हदीस के अनुसार, पैग़ंबर-ए-इस्लाम ने माता-पिता की सेवा के बारे में कहा कि तुम अपने माता-पिता में जिहाद करो (बुख़ारी, किताबुल जिहाद)। इससे मालूम हुआ कि माता-पिता की सेवा करना जिहाद का एक काम है।

इस प्रकार की विभिन्न आयतें और हदीसें हैं, जिनसे मालूम होता है कि जिहाद का काम मूलतः एक शांतिपूर्ण काम है। वह किसी वांछित ईश्वरीय काम में शांतिपूर्ण दायरे के अंदर रहकर संघर्ष करना है। जिहाद शब्द का सही अनुवाद शांतिपूर्ण संघर्ष (peaceful struggle) है।

 

Category/Sub category

QURANIC VERSES29:6949:15
Share icon

Subscribe

CPS shares spiritual wisdom to connect people to their Creator to learn the art of life management and rationally find answers to questions pertaining to life and its purpose. Subscribe to our newsletters.

Stay informed - subscribe to our newsletter.
The subscriber's email address.

leafDaily Dose of Wisdom